चारधाम यात्रा में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर और सुदृढ़ बनाने के लिए आने वाले तीन महीनों तक 25-25 डॉक्टरों को यात्रा मार्ग की चिकित्सा इकाइयों में तैनात कर दिया जायेगा। जिसके लिए स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से चारधाम यात्रा में देश-विदेश से उत्तराखंड पहुँचे तीर्थ यात्रियों को स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टारों की नियुक्ति होने से लोगों को स्थानीय स्तर पर बेहतर इलाज मिल सकेगा।
बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने बताया कि शीघ्र ही उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग को 245 एमबीबीएस डॉक्टरों की सौगाद मिलने वाली है। इन सभी डॉक्टरों को बॉण्ड व्यवस्था के अंतर्गत प्रदेश के दुर्गम एवं पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित चिकित्सा इकाईयों में नियुक्ति देने के निर्देश विभागीय उच्चाधिकारियों को दे दिये गये हैं।
शासन की स्वीकृति का इंतजाम
स्वास्थ्य महानिदेशक द्वारा चिकित्सकों के नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है, जिसकी स्वीकृति मिलते ही सभी पास आउट डॉक्टरों को तैनाती दे दी जाएगी। राज्य में संचालित चारधाम यात्रा एवं कैलाश मानसरोवर यात्रा को देखते हुये यात्रा काल के लिये 25-25 डॉक्टरों को यात्रा मार्ग पर स्थित जनपदों चमोली, रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, चम्पावत एवं पिथौरागढ़ में तैनात किया जायेगा। ताकि तीर्थ यात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सके।
जनपदों के हिसाब से होगी तैनाती
बॉण्ड व्यवस्था के अंतर्गत जनपद चमोली में 39, उत्तरकाशी में 25, रूद्रप्रयाग में 25, पौड़ी गढ़वाल में 12, टिहरी गढ़वाल में 18, नैनीताल में 6, बागेश्वर में 29, चम्पावत में 25, पिथौरागढ़ में 25, अल्मोड़ा में 41 चिकित्सकों को नियुक्ति दी जायेगी। विभागीय मंत्री ने बताया कि स्थानांतरण सत्र 2022-23 में दुर्गम एवं पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात पीएमएचएस संवर्ग के चिकित्साधिकारियों का स्थानांतरण सुगम क्षेत्रों में किया जाना प्रस्तावित है ऐसे में उनके रिक्त हुये पदों के सापेक्ष अधिसंख्य बॉण्डधारी चिकित्सकों का समायोजन किया जायेगा।
पासआउट डॉक्टरों को, 5 साल पहाड़ों में करना होगा काम
वर्तमान में राज्य के तीन मेडिकल कालेजों से कुल 245 एमबीबीएस चिकित्सक पासआउट हुए हैं इन सभी को पूर्व में किये गये अनुबंध के तहत तैनाती देने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए प्रदेश में बॉण्ड व्यवस्था लागू की है, इसके तहत डॉक्टरों को एमबीबीएस करने के बाद पहाड़ के अस्पतालों में पांच सालों तक सेवाएं देनी अनिवार्य है।