– शहर में खुदाई के दौरान सामने आ रही प्राचीन धरोहरें, 25 साल पुराना कुआं फिर हुआ जिंदा
TMP : उत्तर प्रदेश का संभल शहर इन दिनों ऐतिहासिक खोजों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए सुर्खियों में है। दशकों से बंद पड़े मंदिरों और कूओं की खुदाई में शहर का गौरवशाली इतिहास सामने आ रहा है। हाल ही में जामा मस्जिद के पास अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान एक प्राचीन कुआं मिला, जिसे लोग ‘राम कूप’ के नाम से पुकारते हैं।
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में हुआ ऐतिहासिक खुलासा
संभल नगर निगम द्वारा चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान यह प्राचीन कुआं मिला। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कुआं करीब 25 साल पहले जबरन पाट दिया गया था। प्रशासन ने इसकी साफ-सफाई और खुदाई का काम शुरू कर दिया है। कुएं की गहराई लगभग 75 मीटर बताई जा रही है।
राम चबूतरे के पास मिला ‘राम कूप’
राम चबूतरे के पास मिले इस कुएं को लेकर स्थानीय लोग बेहद उत्साहित हैं। उनका कहना है कि यह कुआं धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्व रखता है। इसके अलावा, शहर के अलग-अलग हिस्सों में भी कई प्राचीन मंदिर और बावड़ी की खोज हुई है।
संभल में प्राचीन मंदिरों की खोज का सिलसिला
पिछले कुछ दिनों में संभल में कई प्राचीन मंदिरों की खोज हुई है। खग्गू सराय इलाके में मिला कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर इस सिलसिले की शुरुआत माना जा रहा है। इस मंदिर में प्राचीन शिवलिंग और हनुमान जी की प्रतिमा मिली थी। इसके बाद से वहां पूजा-पाठ शुरू हो गया है।
अन्य मंदिर और बावड़ी की खोज:
- राधा कृष्ण मंदिर: सरायतरीन इलाके में मिला यह मंदिर अपने विशाल प्रांगण और प्राचीन कूप के लिए प्रसिद्ध है।
- 150 साल पुरानी बावड़ी: शहर के अलग-अलग हिस्सों में बावड़ी के अवशेष मिले हैं, जिन्हें संरक्षित करने की योजना पर काम हो रहा है।
स्थानीय जनता का क्या कहना है?
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह खुदाई उनके अतीत को फिर से जीवंत कर रही है। लोगों के अनुसार, इन मंदिरों और कूओं को जबरन बंद कर दिया गया था, लेकिन अब प्रशासन के प्रयासों से इन्हें दोबारा खोला जा रहा है।
प्रशासन का प्रयास और योजनाएं
संभल प्रशासन ने इन प्राचीन धरोहरों की देखरेख और संरक्षण का कार्य तेज कर दिया है। अतिक्रमण हटाने और साफ-सफाई अभियान के तहत अभी और भी प्राचीन धरोहरों के मिलने की संभावना जताई जा रही है।
धरोहरों की खोज का महत्व
- धार्मिक आस्था: प्राचीन मंदिरों और कूओं की खोज से स्थानीय जनता की धार्मिक आस्था को नया बल मिला है।
- पर्यटन को बढ़ावा: इन धरोहरों को संरक्षित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।
- इतिहास का पुनर्जागरण: दशकों से दबे ऐतिहासिक साक्ष्य फिर से सामने आ रहे हैं, जो शहर के गौरवशाली इतिहास को प्रदर्शित करते हैं।
संभल में नई संभावनाओं का उदय
संभल की यह ऐतिहासिक खोजें केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखतीं, बल्कि शहर के सांस्कृतिक और पर्यटन मानचित्र को भी नई दिशा देंगी। प्रशासन और जनता के साझा प्रयास से यह धरोहरें शहर की नई पहचान बन सकती हैं।