Dehradun : राज्य की संस्कृति, संसाधनों और मूल स्वरूप को सुरक्षित रखने की दिशा में कैबिनेट ने ऐतिहासिक सख्त भू-कानून को हरी झंडी दे दी है। वर्षों से प्रदेशवासियों की इस मांग को आखिरकार सरकार ने पूरी कर दिया, जिससे बाहरी हस्तक्षेप पर लगाम लगेगी और स्थानीय नागरिकों के अधिकारों को प्राथमिकता मिलेगी।
क्या होंगे इस कानून के प्रभाव?
1.बाहरी हस्तक्षेप पर रोक: अब राज्य की ज़मीनों की अंधाधुंध खरीद-फरोख्त पर लगेगी लगाम।
2.स्थानीय अधिकारों की रक्षा: भूमि का स्वामित्व मूल निवासियों के हितों के अनुरूप तय होगा।
3.संस्कृति और धरोहर को संजीवनी: ऐतिहासिक स्थलों और पारंपरिक विरासतों को संरक्षित किया जाएगा।
4.राज्य की भौगोलिक पहचान होगी मजबूत: प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री का बड़ा बयान:
मुख्यमंत्री ने इस फैसले को “जनभावनाओं की जीत” करार देते हुए कहा,
“हम अपने राज्य की पहचान, संस्कृति और संसाधनों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह कानून हमारे संकल्प का प्रमाण है कि हम जनता की भावनाओं का पूरा सम्मान करते हैं।”
क्यों है यह फैसला मील का पत्थर?
यह सख्त भू-कानून प्रदेश की जड़ों को मज़बूत करने और भविष्य को सुरक्षित रखने का एक अहम कदम है। इससे न केवल राज्य का पारंपरिक स्वरूप बरकरार रहेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को भी अपने हक़ की ज़मीन पर अधिकार मिलेगा।
यह फैसला प्रदेश की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संरचना को नया जीवन देगा। सरकार के इस ऐतिहासिक कदम के बाद अब प्रदेश का विकास स्थानीय पहचान और संसाधनों की सुरक्षा के साथ आगे बढ़ेगा!
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