अब भारत के सभी लोगों को उस पल का इंतजार है जब आदित्य-एल1 मिशन अपने लक्ष्य तक पहुंचकर सूर्य की तस्वीरें हम तक भेज सके । आपको बता दें कि आदित्य एल-1 का पहला पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) लक्षित ऑर्बिट में पहुंचकर रोजाना एक हजार से अधिक तस्वीरें इसरो को भेजेगा, जो सूर्य के अध्ययन में मददगार साबित होंगी । ये मिशन भारत के साथ साथ दुनिया के लिए भी नयी खोज का रास्ता खोलेगा |
आखिर आदित्य-एल1 मिशन है क्या ?
आदित्य-एल1 मिशन (Aditya-L1 Mission) भारत का पहला सौर मिशन है। जिसके जरिए इसरो सूर्य से जुड़े कई रहस्यों पर से पर्दा उठाने के लिए मददगार साबित होगा। इसके अलावा ये मिशन इसलिए भी महत्वपूर्ण है | क्योकि इस मिशन के द्वारा सूरज की बाहरी परत कोरोना, कोरोनल मास इजेक्शन (सूर्य में होने वाले शक्तिशाली विस्फोट), प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियां और उनकी विशेषताएं, सौर तूफान की उत्पत्ति आदि कारकों का अध्ययन किया जाएगा। इसके अलावा, आखिर अंतरिक्ष के मौसम पर सूर्य की गतिविधियों का क्या प्रभाव पड़ेगा इस बात की जानकारी भी इकट्ठा किया जाएगा।
क्या है एल-1?
भारत अपने सेटेलाइट को लांग्रेंजियन-1 बिंदु पर स्थापित करने के लिए आदित्य एल1 लॉन्च किया गया है। दरअसल, सोलर-अर्थ सिस्टम में कुल पांच लांग्रेज बिंदु है, जहां आदित्य एल1 जा रहा है। यह ऑर्बिट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है, जहां पहुंचने के लिए यान को कुल 4 महीने का समय लगेगा। गौरतलब है कि पृथ्वी से L1 की दूरी, सूर्य से पृथ्वी की दूरी का केवल 1 प्रतिशत हिस्सा है।
पहली तस्वीर फरवरी महीने में आएंगी सामने
आदित्य एल1 की परियोजना वैज्ञानिक और वीईएलसी (VELC) की संचालन प्रबंधक डॉ. मुथु प्रियाल ने बताया है, “तस्वीर चैनल की ओर से हर मिनट एक तस्वीर भेजी जाएगी यानी 24 घंटों में लगभग 1,440 तस्वीर सामने आएंगी।” गौरतलब है कि यान की मदद से पहली तस्वीर फरवरी महीने में सामने आ जाएगी।
VELC पेलोड , आदित्य-एल1 पर सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण रहा पेलोड है। IIA अधिकारियों के मुताबिक, 190 किलोग्राम का VELC पेलोड अगले पांच सालों तक हर मिनट एक तस्वीर भेजेगा।दरअसल, अनुमान लगाया गया है कि इस उपग्रह का आयु पांच साल होगी। दरअसल, ईंधन की खपत के आधार पर इस बात का अंदाजा लगाया गया है, लेकिन आने वाले समय में कम या ज्यादा भी हो सकता है।