TMP: सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना नदी का पानी नहाने योग्य मानकों पर खरा उतरा है। यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को सौंपी गई थी। हालांकि, रिपोर्ट में डेटा वेरिएबिलिटी (अंतर) को ध्यान में रखते हुए स्टैटिस्टिकल एनालिसिस (सांख्यिकीय विश्लेषण) की आवश्यकता बताई गई है।
डेटा एनालिसिस क्यों बना चुनौती?
CPCB ने स्पष्ट किया कि अलग-अलग तारीखों और स्थानों से लिए गए सैंपल के कारण संपूर्ण नदी के जल की सटीक गुणवत्ता आकलन करना कठिन था। बोर्ड ने बताया कि महाकुंभ की शुरुआत के बाद से हर सप्ताह दो बार जल की जांच और निगरानी की गई है।
12 जनवरी से 28 फरवरी तक चला सघन जल परीक्षण
रिपोर्ट के अनुसार, 12 जनवरी से 28 फरवरी तक गंगा नदी की 5 जगहों और यमुना नदी की 2 जगहों पर जल की नियमित निगरानी की गई। इस कार्य के लिए विशेषज्ञों की एक समिति तैनात थी, जिसने जल की गुणवत्ता पर विस्तृत अध्ययन किया।
CPCB की पुरानी रिपोर्ट में गंगा जल को बताया गया था प्रदूषित
हालांकि, इससे पहले 17 फरवरी को CPCB ने NGT के चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की पैनल को बताया था कि महाकुंभ के दौरान कई स्थानों पर गंगा-यमुना का पानी स्नान योग्य मानकों को पूरा नहीं कर रहा है। रिपोर्ट में पानी में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया (Fecal Coliform Bacteria) की उच्च मात्रा पाई गई थी, जिसकी मात्रा 100 मिलीलीटर पानी में 2,500 यूनिट से कहीं अधिक दर्ज की गई थी।
अब क्या है जल की स्थिति?
CPCB की ताजा रिपोर्ट बताती है कि अब गंगा और यमुना का जल नहाने योग्य मानकों पर खरा उतर रहा है, लेकिन पानी की गुणवत्ता को लेकर वैज्ञानिक विश्लेषण की जरूरत बनी हुई है। इसके साथ ही, नदी जल की सतत निगरानी जारी रखने की सिफारिश की गई है ताकि श्रद्धालुओं को सुरक्षित जल उपलब्ध कराया जा सके।
महाकुंभ में जल शुद्धता को लेकर क्या होंगे आगे के कदम?
विशेषज्ञों के अनुसार, महाकुंभ के दौरान गंगा-यमुना के जल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रशासन को लगातार जल परीक्षण और उचित प्रदूषण नियंत्रण उपायों को अपनाना होगा। साथ ही, जल में सुधार के लिए किए गए प्रयासों का नियमित मूल्यांकन भी जरूरी होगा।