विकसित उत्तराखण्ड@2047: भविष्य की पीढ़ियों के लिए नीति निर्माण का खाका तैयार, 218 संकेतकों पर हुआ मंथन

 

 

देहरादून: उत्तराखण्ड को वर्ष 2047 तक एक विकसित और समावेशी राज्य के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से सोमवार को देहरादून में “विकसित उत्तराखण्ड विजन 2047” कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस उद्घाटन सत्र में मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन एवं सेतु आयोग के सीईओ श्री शत्रुघ्न सिंह ने प्रतिभाग किया।

मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने इस अवसर पर कहा, “यह योजना केवल वर्तमान की नहीं, बल्कि उत्तराखण्ड की भावी पीढ़ियों के लिए एक दूरदर्शी निवेश है।” उन्होंने अधिकारियों से आह्वान किया कि वे इस विजनिंग अभ्यास को प्राथमिकता में लें और दीर्घकालिक नीति निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं।

उन्होंने बताया कि सेतु आयोग और यूएनडीपी के सहयोग से यह प्रक्रिया मापनीय परिणामों के साथ एक सशक्त ढांचे में ढाली जाएगी, जिससे नीति निर्माण अधिक प्रभावशाली और परिणामोन्मुख बन सके।

सेतु आयोग के सीईओ श्री शत्रुघ्न सिंह ने राज्य को निम्न-मध्यम आय से उच्च आय वाले राज्य में बदलने के लिए पूंजी निवेश, वैश्विक तकनीक और समावेशी विकास को जरूरी बताया। उन्होंने उत्तराखण्ड की भौगोलिक और सामाजिक विविधताओं को ध्यान में रखते हुए एक रणनीतिक आर्थिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

सचिव नियोजन डॉ. श्रीधर बाबू अद्दांकी ने विभिन्न विकास क्षेत्रों के लिए बेंचमार्क प्रस्तुत किए, जिससे कार्यशाला में उपस्थित विभागीय प्रतिनिधियों को दिशा व प्रेरणा मिली।

यूएनडीपी के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में 218 से अधिक “Signals” – उभरते संकेतक और रुझान – चिन्हित किए गए। ये संकेतक जलवायु परिवर्तन, आधारभूत ढांचा, रोजगार, आर्थिक विकास, स्थानीय स्व-शासन, न्याय व्यवस्था, वित्तीय समावेशन और शांति जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करते हैं।

विकसित उत्तराखण्ड विजन 2047 राज्य के दीर्घकालिक विकास को सुनिश्चित करने की एक क्रांतिकारी पहल है। अब यह पहल राजनीतिक इच्छाशक्ति, तकनीकी दक्षता और प्रशासनिक सहयोग से धरातल पर कैसे उतरती है, इस पर प्रदेश का भविष्य निर्भर करेगा।

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