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स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति के भोज में शामिल हुए पीएम मोदी, दुष्कर्मियों को फांसी के डर की जरूरत पर दिया जोर

एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा आयोजित भोज में शामिल हुए। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी और धनखड़ के साथ ही मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और राजनयिक शामिल हुए। इससे पहले दिन में राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का दौरा किया और बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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राक्षसी कृत्य करने वालों के मन में फांसी का डर पैदा करना बहुत जरूरी: मोदी

पश्चिम बंगाल में प्रशिक्षु डाक्टर से दुष्कर्म व हत्या की घटना पर जब देशभर में आक्रोश है तो इसे लेकर पीड़ा और चिंता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भी व्यक्त की।

उन्होंने माताओं-बहनों व बेटियों के साथ होने वाली अत्याचार की घटनाओं को न सिर्फ गंभीरता से लेने का संदेश देश, समाज व राज्य सरकारों को दिया, बल्कि दो टूक कहा कि ऐसा राक्षसी कृत्य करने वालों के मन में फांसी का डर पैदा करना बहुत जरूरी है। इसके लिए पीएम मोदी ने घटना की तरह ही दोषी को मिलने वाली कड़ी सजा की भी व्यापक चर्चा करने की जरूरत बताई।

बेटियों के प्रति जो अत्याचार हो रहे हैं, उससे देश का आक्रोश

प्रधानमंत्री ने देशवासियों को दिए संदेश में गुरुवार को कहा कि बीते वर्षों में वूमन लेड डेवलपमेंट माडल पर हमने काम किया है। नवाचार हो, रोजगार हो या उद्यमशीलता हो, हर क्षेत्र में महिलाओं के कदम बढ़ते जा रहे हैं। महिलाएं सिर्फ भागीदारी ही नहीं, बढ़ा रही हैं, बल्कि महिलाएं नेतृत्व दे रही हैं। लेकिन दूसरी तरफ कुछ चिंता की बातें भी आती हैं।

परोक्ष रूप से पश्चिम बंगाल की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी माताओं-बहनों, बेटियों के प्रति जो अत्याचार हो रहे हैं, उसके प्रति देश का आक्रोश है, जन सामान्य का आक्रोश है। इस आक्रोश को मैं महसूस कर रहा हूं। इसको देश को, समाज को, हमारी राज्य सरकारों को गंभीरता से लेना होगा।

राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो

पीएम ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो। राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो, यह समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है। यहां खास बात है कि प्रधानमंत्री ने अपराधियों के मन में डर पैदा करने पर जोर दिया।

कहा कि जब महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं घटती हैं तो उसकी बहुत चर्चा होती है, बहुत प्रचार होता है, मीडिया में छाया रहता है, लेकिन जब ऐसे राक्षसी मनोवृत्ति के व्यक्ति को सजा होती है तो वो खबरों में कहीं नजर नहीं आती है, एक कोने में कहीं पड़ा रहता है।

आगे बोसे कि अब समय की मांग है कि जिनको सजा होती है, उसकी व्यापक चर्चा हो, ताकि ऐसा पाप करने वालों को भी डर पैदा हो कि ये पाप करने की हालत ये होती है कि फांसी पर लटकना पड़ता है और मुझे लगता है कि ये डर पैदा करना बहुत जरूरी है।

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