NCERT भारत और इंडिया के बीच नहीं करती है अंतर -केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी

पीटीआई। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) भारत और इंडिया के बीच अंतर नहीं करती है और संविधान में निहित भावना को स्वीकार करते हुए दोनों को मान्यता देती है। यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बुधवार को राज्यसभा में दी।

वह बुधवार को माकपा सदस्य इलामारम करीम द्वारा स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में देश के नाम इंडिया को भारत से बदलने की एनसीईआरटी की समिति की सिफारिश के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब दे रही थीं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है कि इंडिया यानि भारत राज्यों का संघ होगा।

उन्होंने कहा कि भारत का संविधान देश के नाम के रूप में इंडिया और भारत दोनों को मान्यता देता है और इनका उपयोग परस्पर किया जा सकता है। एनसीईआरटी संविधान में निहित भावना को स्वीकार करती है और दोनों के बीच अंतर नहीं करती है। मंत्री ने कहा कि देश सामूहिक रूप से औपनिवेशक मानसिकता से दूर जा रहा है और भारतीय भाषा में शब्दों के उपयोग को प्रोत्साहित करता है।

बता दें कि गत अक्टूबर में स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए एनसीईआरटी द्वारा गठित सामाजिक विज्ञान की उच्च-स्तरीय समिति ने सभी कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ को ‘भारत’ से बदलने की सिफारिश की थी। हालांकि एनसीईआरटी ने कहा था कि उसे अभी सिफारिशों पर निर्णय लेना है।

गत वर्षों में सरकारी स्कूलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी हुई बेहतर

भारत के सरकारी स्कूलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी साल दर साल बेहतर हुई है। 2017-18 में 5.5 प्रतिशत के मुकाबले 2021-22 में यह 24.2 प्रतिशत हो गई। हालांकि बिहार, मिजोरम, ओडिशा और तेलंगाना जैसे राज्यों में 10 प्रतिशत से कम सरकारी स्कूलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी है।

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राज्यसभा में सवाल के लिखित जवाब में जानकारी देते हुए बताया कि शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी व चंडीगढ़ को छोड़ दिल्ली एकमात्र राज्य है, जहां 100 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी है।

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