कोदा-झिंगोरा से नई क्रांति तक: अंतरराष्ट्रीय प्रवासी सम्मेलन में उत्तराखंड की खेती और खुशहाली का बिगुल

 

 

 

TMP : अंतरराष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखंड सम्मेलन के चतुर्थ सत्र में कृषि और ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने उत्तराखंड के विकास की नई तस्वीर पेश की। उन्होंने बड़े ही रोचक अंदाज में कहा, “पहले नारा था- कोदा, झिंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे। अब नारा है- कोदा झिंगोरा उगाएंगे, उत्तराखंड को आगे बढ़ाएंगे!” यह बयान सत्र का मुख्य आकर्षण बना।

जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में जैविक खेती अब राज्य की पहचान बन गई है। वर्तमान में 40% खेती जैविक हो चुकी है, और इस साल इसे 50% तक ले जाने का लक्ष्य है। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखंड लगातार चार साल से जैविक खेती में पहला स्थान हासिल कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि मिलेट्स को बढ़ावा देने से राज्य को नई ऊर्जा मिली है।

“एरोमा वैली और हाई-टेक खेती का सपना”
सत्र में सचिव दीपेंद्र कुमार चौधरी ने एरोमा वैली प्रोजेक्ट और काशीपुर में 40 एकड़ में बनने वाले एरोमा पार्क की योजनाओं पर बात की। उन्होंने बताया कि एरोमा उद्योग से राज्य के किसानों को नई दिशा मिलेगी। वहीं, कीवी उत्पादन को मिशन मोड में ले जाने और नई तकनीकों के जरिए उत्पादन को 2027 तक दोगुना करने की योजना ने सबका ध्यान खींचा।

काश्तकारों की सफलता की कहानियां
सम्मेलन में काश्तकारों और उद्यमियों ने अपनी प्रेरणादायक कहानियां साझा कीं। बलबीर सिंह कांबोज ने बताया कि वह 18 एकड़ में फूलों की खेती कर रहे हैं और यहां की जलवायु इसे सपोर्ट करती है। मधुमक्खी पालन में अग्रणी अतर सिंह कैंत्यूरा ने बताया कि उत्तराखंड का जंगल इस व्यवसाय के लिए सबसे उपयुक्त है।

नैनीताल की आरोही संस्था के पंकज तिवारी ने मशरूम और शहद उत्पादन में संतुलित विकास की बात कही, जबकि प्राइवेट उद्यमी चंद्रमणि कुमार और मनमोहन भारद्वाज ने हाई-टेक हाइड्रोपोनिक फार्मिंग और कलस्टर आधारित खेती की सफलता साझा की।

“प्रवासियों और मेहमानों का हुआ सम्मान”
सत्र का संचालन आर्गेनिक बोर्ड के एमडी विनय कुमार ने किया, जबकि ग्राम्य विकास आयुक्त अनुराधा पॉल ने सभी मेहमानों का स्वागत किया। प्रवासी उत्तराखंडियों और अन्य मेहमानों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

“उत्तराखंड: जैविक खेती और एरोमा वैली से आत्मनिर्भरता की ओर”
सम्मेलन ने स्पष्ट संदेश दिया कि उत्तराखंड खेती, पर्यटन और तकनीक के तालमेल से विकास के नए आयाम छूने के लिए तैयार है। “कोदा-झिंगोरा” से लेकर “मिलेट्स और एरोमा वैली” तक, यह राज्य अब खुद को वैश्विक मानचित्र पर अलग पहचान दिलाने की राह पर है।

 
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