अदालतों में ‘तारीख पर तारीख’ की संस्कृति को बदलने की जरूरत: राष्ट्रपति मुर्मु

पीटीआई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अदालतों में ‘तारीख पर तारीख’ संस्कृति को बदलने की जरूरत पर बल दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए अदालतों में ‘स्थगन की संस्कृति’ बदलने के प्रयास करने की जरूरत है।

वहीं, मेघवाल ने न्याय व्यवस्था में ‘तारीख पर तारीख’ की सामान्य धारणा को तोड़ने के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया ताकि न्यायपालिका के प्रति नागरिकों का विश्वास मजबूत हो सके। भारत मंडपम में जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों का होना ‘हम सभी’ के लिए एक बड़ी चुनौती है।

स्थगन की संस्कृति को बदलना होगा: राष्ट्रपति

उन्होंने कहा कि इसलिए अदालतों में स्थगन की संस्कृति को बदलने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने की जरूरत है। न्याय की रक्षा देश के सभी न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध गंभीर चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा कि अदालती माहौल में आम लोगों का तनाव का स्तर बढ़ जाता है। उन्होंने इस विषय पर अध्ययन करने का सुझाव दिया। साथ ही महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या में वृद्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की। राष्ट्रपति ने दोहराया कि देश के हर न्यायाधीश को लोग भगवान मानते हैं, इसलिए हर न्यायाधीश व न्यायिक अधिकारी का नैतिक दायित्व है कि वे धर्म, सत्य एवं न्याय का सम्मान करें।

‘अदालतें तय करती हैं न्यायपालिका की छवि’

उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय अदालतें करोड़ों नागरिकों के मन में न्यायपालिका की छवि तय करती हैं। इसलिए जिला अदालतों के जरिये लोगों को संवेदनशीलता व तत्परता के साथ और कम खर्च पर न्याय प्रदान करना न्यायपालिका की सफलता का आधार है। उन्होंने लंबे समय से लंबित मामलों पर चिंता जताते हुए विशेष लोक अदालत जैसे कार्यक्रम आयोजित करने पर जोर दिया।

समारोह में कानून मंत्री मेघवाल ने ‘लंबे समय से लंबित मुकदमों’ का गहन विश्लेषण करने का भी प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि लंबित मुकदमों का विश्लेषण और समान मामलों को एक साथ जोड़ने से अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने में मदद मिल सकती है, साथ ही ऐसी व्यवस्था लागू करने के लिए कुछ हाई कोर्टों की सराहना भी की। उनके मंत्रालय ने सभी के लिए न्याय का लक्ष्य तय किया है। इस प्रस्तावित कार्यक्रम में लोगों के लिए उनके दरवाजे पर किफायती, त्वरित और प्रौद्योगिकी आधारित नागरिक-केंद्रित न्याय उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।

राष्ट्रपति ने जारी किया सुप्रीम कोर्ट का ध्वज और प्रतीक चिह्न

उन्होंने ऐसा वातावरण बनाने का आह्वान भी किया जिसमें कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति को भी महसूस हो कि उसे न्याय मिल रहा है। ऐसे प्रयासों से न्याय व्यवस्था में लोगों का भरोसा और मजबूत होगा। कार्यक्रम में राष्ट्रपति मुर्मु ने स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने पर सुप्रीम कोर्ट का ध्वज और प्रतीक चिह्न भी जारी किया।

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