शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की निजी स्कूलों को चेतावनी – नियमों से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं

 

 

 

देहरादून: उत्तराखंड सरकार अब शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम को लेकर सख्त मोड में है। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने राज्य के सभी निजी स्कूलों को दो टूक चेतावनी दी है – आरटीई के तहत गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों को प्रवेश देना अनिवार्य है, वरना कार्रवाई के लिए तैयार रहें।

उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि जो स्कूल आरटीई नियमों की अवहेलना कर रहे हैं, उनकी एनओसी (No Objection Certificate) रद्द कर दी जाएगी और जरूरत पड़ी तो स्कूल बंद भी किए जा सकते हैं।

मुख्य बिंदु:

1.   शिक्षा मंत्री ने आज अपने शासकीय आवास पर विभागीय समीक्षा बैठक की।

2.  सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों (C.E.O.) को आदेश दिया गया है कि वे अपने जिलों में निजी स्कूलों से आरटीई के तहत दाखिले की रिपोर्ट जल्द भेजें।

3. निरीक्षण अभियान चलाकर सरकारी व निजी स्कूलों की जांच होगी – जो स्कूल मानकों पर खरे नहीं उतरेंगे, उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई होगी।

4.  जिला स्तर पर सीईओ और ब्लॉक स्तर पर खंड शिक्षा अधिकारी आरटीई के अनुपालन की निगरानी करेंगे।

क्या है शिक्षा मंत्री का संदेश?

डॉ. रावत ने दो टूक कहा,

“राज्य के हर निजी विद्यालय को निर्धन और वंचित वर्ग के छात्र-छात्राओं को शिक्षा देने का कानूनी दायित्व है। अगर कोई स्कूल इससे बचता है, तो उसकी मान्यता पर सीधी कार्रवाई होगी।”

निजी स्कूलों पर निगरानी और जवाबदेही

पहली बार राज्य सरकार संगठित और सख्त ढंग से निजी स्कूलों की जवाबदेही तय करने की दिशा में कदम उठा रही है। अब “मनमानी फीस, मनमाने नियम और आरटीई की अनदेखी” के दिन खत्म होने वाले हैं।

शिक्षा मंत्री की इस घोषणा से साफ है कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

आरटीई क्या है और क्यों जरूरी है?

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत निजी स्कूलों को प्रत्येक कक्षा में 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर व पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित रखनी होती हैं। यह कानून गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच दिलाने का एक सशक्त माध्यम है।

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