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भारत की कार्रवाई से कांपा पाकिस्तान, UNSC से बंद कमरे में ‘दया बैठक’ की लगाई गुहार

Photo- ndtv

 

 

 

TMP:  पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर जो रणनीतिक दबाव बनाना शुरू किया है, उसने इस्लामाबाद की हेकड़ी उतार दी है। यूट्यूब चैनलों पर बैन, सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक करने से लेकर सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार तक, भारत के कदमों ने पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की शरण में जाने को मजबूर कर दिया है।

भारत की कूटनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक से हिला पाकिस्तान

पाकिस्तान की सरकार अब खुलकर यूएनएससी की बैठक बुलाने की मांग कर रही है, वो भी बंद कमरे में, ताकि दुनिया को उसकी बौखलाहट न दिखे। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार चाहती है कि यह चर्चा कैमरों से दूर हो और उसका डर अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेपर्दा न हो।

5 मई को UNSC की बैठक, पाक ने मांगी गोपनीयता

संयुक्त राष्ट्र की पुष्टि के अनुसार, 5 मई (सोमवार) को सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई गई है, जिसका एजेंडा भारत-पाक तनाव और पहलगाम हमला है। पाकिस्तान, जो इस समय UNSC का अस्थायी सदस्य है, ने बैठक को ‘क्लोज़ डोर’ यानी बंद कमरे में आयोजित करने की सिफारिश की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मांग खुद पाकिस्तान की असुरक्षा और दबाव की स्थिति को दर्शाती है।

 

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वैश्विक निंदा के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट

अमेरिका समेत दुनियाभर के देशों ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। पाकिस्तान को डर है कि भारत जल्द ही कोई बड़ा सैन्य या कूटनीतिक कदम उठा सकता है। इस डर को पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद के बयान से भी बल मिलता है, जिसमें उन्होंने कहा:

“यह बैठक पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि में बुलाई जा रही है, क्योंकि यह हमला क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए खतरा बनता जा रहा है।”

घरेलू दबाव भी चरम पर

भारत की सख्ती के साथ-साथ पाकिस्तान में आंतरिक अस्थिरता भी शहबाज शरीफ सरकार को घेरे हुए है। बढ़ती महंगाई, राजनीतिक असंतोष और जनता के बीच सरकार की साख पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत से संभावित जवाबी कार्रवाई से बचने के लिए UNSC की गोपनीय बैठक की मांग पाकिस्तान की रणनीतिक उलझन को और उजागर करती है।

भारत की आक्रामक कूटनीति ने पाकिस्तान को न सिर्फ वैश्विक मंच पर बेनकाब किया है, बल्कि उसे डिफेंसिव मोड में ला खड़ा किया है। अब देखना ये है कि भारत अगला कदम किस दिशा में और कितनी दृढ़ता से उठाता है।

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