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उत्तराखंड में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नई क्रांति: मिलेट्स, कीवी, ड्रैगन फ्रूट और सेब पर केंद्रित योजनाओं से आत्मनिर्भर बनेंगे पहाड़

 

 

 

TMP: उत्तराखंड सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों को स्वरोजगार और समृद्धि की नई राह पर ले जाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने जानकारी दी कि राज्य सरकार पर्वतीय क्षेत्रों को कृषि और बागवानी आधारित उद्यमों से जोड़ने के लिए एक के बाद एक नीतिगत और संस्थागत प्रयास कर रही है।

मिलेट्स पॉलिसी 2025-26: पहाड़ की परंपरा को मिलेगा वैज्ञानिक समर्थन

उत्तराखंड की पारंपरिक खेती बारहनाजा प्रणाली को फिर से जीवित करने की दिशा में सरकार ने “उत्तराखंड स्टेट मिलेट्स पॉलिसी 2025-26” लागू की है। यह नीति 11 पर्वतीय जनपदों में लागू होगी और दो चरणों में क्रियान्वित की जाएगी।

₹134.89 करोड़ की इस योजना के अंतर्गत मंडुवा, झंगोरा, रामदाना, कौणी और चीना जैसी पारंपरिक फसलों को आधुनिक तकनीक से उगाया जाएगा। किसानों को 80% अनुदान पर बीज और जैव उर्वरक उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही पंक्ति बुवाई पर ₹4000/हेक्टेयर और सीधी बुवाई पर ₹2000/हेक्टेयर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

कीवी नीति: फल पट्टी से जुड़ेगा आत्मनिर्भरता का स्वाद

सरकार ने पर्वतीय जिलों में कीवी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड कीवी नीति 2025-31 की घोषणा की है।

वर्तमान उत्पादन को 33000 मीट्रिक टन तक पहुंचाने का लक्ष्य है। यह नीति हरिद्वार और उधमसिंहनगर को छोड़कर शेष सभी जनपदों में लागू होगी।

ड्रैगन फ्रूट योजना: भविष्य की फसल, आज की योजना

ड्रैगन फ्रूट को उत्तराखंड में एक संभावनाशील फसल मानते हुए मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना के तहत 3 वर्षों (2025-28) के लिए विशेष योजना लाई गई है।

यह योजना देहरादून, नैनीताल, टिहरी, पौड़ी सहित 7 जिलों में लागू की जाएगी।

मुख्यमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (CMFME): प्रोसेसिंग से मिलेगा मुनाफा

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना के साथ-साथ अब CMFME योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में 780 प्रसंस्करण इकाइयों को अतिरिक्त 25% या अधिकतम ₹5 लाख का टॉपअप मिलेगा। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और पलायन की रोकथाम होगी।

सेब उत्पादन और प्रबंधन नीति: वैज्ञानिक भंडारण की ओर कदम

सेब की पैदावार और गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए सरकार ने 7 वर्षों के लिए ₹129.97 करोड़ की योजना बनाई है।

इस योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत किसानों को 50% और एफपीओ, SHG आदि को 70% तक अनुदान मिलेगा।

 

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