देहरादून: उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव 2025 के तहत देहरादून नगर निगम में इस बार का चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। मेयर पद के लिए भाजपा ने युवा नेता सौरभ थपलियाल पर भरोसा जताया है, जबकि कांग्रेस ने अनुभवी वीरेंद्र पोखरियाल को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है।
भाजपा का युवा चेहरा: सौरभ थपलियाल
भाजपा ने इस बार नई सोच और जोश के साथ छात्र राजनीति से उभरे सौरभ थपलियाल को टिकट दिया है।
- राजनीतिक सफर: डीएवी महाविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके सौरभ पार्टी में लंबे समय से सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
- शक्ति प्रदर्शन: नामांकन के दिन सौरभ थपलियाल ने भाजपा महानगर कार्यालय से नगर निगम तक विशाल रैली निकाली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद उपस्थित होकर उन्हें शुभकामनाएं दीं।
कांग्रेस का अनुभवी दांव: वीरेंद्र पोखरियाल
कांग्रेस ने शहर की समस्याओं को केंद्र में रखते हुए अनुभवी नेता वीरेंद्र पोखरियाल को अपना उम्मीदवार बनाया है।
- चुनावी मुद्दे: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार, ट्रैफिक जाम और देहरादून की बदहाल स्थिति को उन्होंने मुख्य मुद्दा बनाया है।
- शक्ति प्रदर्शन: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में वीरेंद्र पोखरियाल ने बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं के साथ नामांकन दाखिल किया।
युवा बनाम अनुभव: जनता का निर्णय अहम
- भाजपा की रणनीति: पार्टी ने युवाओं के बीच लोकप्रिय सौरभ थपलियाल को आगे कर, नई ऊर्जा और विचारधारा को चुनाव का आधार बनाया है।
- कांग्रेस का फोकस: अनुभवी नेतृत्व के सहारे कांग्रेस स्थानीय मुद्दों और जनता की नाराजगी को भुनाने की कोशिश कर रही है।
मुख्य मुद्दे और चुनौतियां
- स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट: कांग्रेस ने परियोजना में कथित भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया है।
- युवाओं का आकर्षण: भाजपा ने युवा नेतृत्व पर फोकस करते हुए नई सोच को बढ़ावा देने की बात की है।
- सड़क और ट्रैफिक समस्याएं: दोनों दल जनता को जाम और सड़कों की खस्ता हालत से राहत देने का वादा कर रहे हैं।
क्या कहती है जनता?
देहरादून के मतदाताओं के सामने युवा जोश और अनुभव के बीच चुनाव करने की चुनौती है। जहां भाजपा विकास और नई सोच पर जोर दे रही है, वहीं कांग्रेस पारंपरिक वोट बैंक और स्थानीय मुद्दों को उठाकर सशक्त नेतृत्व का दावा कर रही है।
आने वाले दिनों में रैलियों और जनसंपर्क अभियानों से चुनावी गर्मी और बढ़ने की संभावना है। अब देखना होगा कि जनता का फैसला किसे विजयी बनाता है—भाजपा का युवा चेहरा या कांग्रेस का अनुभवी नेतृत्व।