इंफाल, एजेंसी। मणिपुर सरकार ने सोमवार को लोगों और संगठनों से कहा कि वे राज्य की मौजूदा स्थिति के बारे में फर्जी खबरें, झूठ, अफवाहें या गलत सूचना फैलाने और प्रकाशित करने से बचें अन्यथा उन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी और इसे देशद्रोह माना जाएगा। गलत सूचना फैलाने पर देशद्रोह के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। राज्य के मुख्य सचिव विनीत जोशी की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य में शांति बहाली और हालात सामान्य करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।
अधिसूचना में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो गलत इरादे से झूठी खबरें, अफवाहें या इसी तरह का कोई दुष्प्रचार करते पाया गया तो यह देशद्रोह के तहत आएगा और उससे सख्ती से निपटा जाएगा। झूठी खबरें और अफवाहें राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति को खराब कर सकती हैं।
बता दें कि मणिपुर में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इंफाल घाटी में रहने वाले मैतेयी समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है जबकि पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी और नगा जैसे आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है। इंडिजनस ट्राइबल लीडर फोरम (आइटीएलएएफ) ने सोमवार को धमकी दी कि अगर राज्य सरकार मोरेह से पुलिस कर्मियों को तुरंत वापस नहीं बुलाती है तो मणिपुर के सभी आदिवासी जिलों में आंदोलन शुरू किया जाएगा।
4 राज्य सरकार ने जारी की अधिसूचना, आरोपितों पर होगी सख्त कार्रवाई
मिजोरम को मणिपुर के 12,600 विस्थापितों के लिए राहत पैकेज का इंतजार आइजल : मिजोरम सरकार जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर के 12,600 से अधिक विस्थापित लोगों के लिए केंद्र से आर्थिक सहायता मिलने का इंतजार कर रही है। मिजोरम के गृह आयुक्त एवं सचिव एच लालेंगमाविया ने बताया कि मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने मई में विस्थापित लोगों के लिए तत्काल राहत पैकेज के रूप में 10 करोड़ रुपये की मांग की थी। मिजोरम के गृह विभाग के अनुसार शुक्रवार तक मणिपुर से कुल मिलाकर 12,611 लोग मिजोरम में प्रवेश कर चुके हैं।