ऋषिकेश : उत्तराखंड की दिव्यता और सिख आस्था की गरिमा को दर्शाते हुए श्री हेमकुंड साहिब यात्रा का शुभारंभ गुरुवार को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में हुआ। पंज प्यारों की अगुवाई में प्रथम जत्थे को ऋषिकेश से रवाना किया गया। इस अवसर पर दोनों वरिष्ठ नेताओं ने श्रद्धालुओं को सुगम, सुरक्षित और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध यात्रा की शुभकामनाएं दीं।
श्रद्धा, साहस और सेवा की यात्रा
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा कि हेमकुंड साहिब की यह यात्रा केवल तीर्थ नहीं, बल्कि धैर्य, साहस और विश्वास का तपोयात्रा है। उन्होंने सिख परंपरा के मूल स्तंभ “स्वाभिमान, बलिदान और सेवा” को स्मरण करते हुए श्रद्धालुओं से गुरु गोबिंद सिंह जी की वाणी “निश्चय कर अपनी जीत करौं” से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
‘वोकल फॉर लोकल’ और प्लास्टिक मुक्त यात्रा की अपील
राज्यपाल ने यात्रा को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए प्लास्टिक मुक्त यात्रा की अपील की और श्रद्धालुओं से स्थानीय उत्पादों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने गुरुद्वारा प्रबंधन समिति, सेवादारों और प्रशासन के प्रशंसनीय सहयोग की सराहना की।
सरल, सुरक्षित और स्मार्ट यात्रा की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हेमकुंड साहिब यात्रा उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। उन्होंने जानकारी दी कि अब तक 60,000 श्रद्धालु यात्रा के लिए पंजीकृत हो चुके हैं, जबकि चारधाम यात्रा के लिए यह आंकड़ा 30 लाख के पार पहुंच गया है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने गोविंदघाट में वैली ब्रिज का निर्माण करवाया है और जल्द ही स्थायी पुल भी तैयार होगा। यात्रा मार्ग पर रेलिंग, साइन बोर्ड, मेडिकल सुविधाएं, पेयजल और गर्म पानी जैसी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं।
‘इटरनल गुरु’ चैटबॉट: गुरबाणी और तकनीक का संगम
कार्यक्रम में एक अनूठा तकनीकी पहलू भी जुड़ा — एआई-आधारित चैटबॉट ‘इटरनल गुरु’ का अपग्रेडेड संस्करण पेश किया गया। यह चैटबॉट गुरबाणी पर आधारित है और श्री गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं को तकनीक के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने में समर्थ है। इसे उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय ने हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के सहयोग से विकसित किया है।
गरिमामयी उपस्थिति और शुभकामनाएं
इस भव्य आयोजन में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ‘भूषण’, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक प्रेमचंद्र अग्रवाल और रेनू बिष्ट, परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती, निर्मल आश्रम के जोत सिंह, निर्मल अखाड़ा के ज्ञान देव महाराज, कुलपति प्रो. ओंकार सिंह और प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
यह यात्रा श्रद्धा और तकनीक का समन्वय बन कर न केवल आस्था को सशक्त बना रही है, बल्कि उत्तराखंड के आध्यात्मिक पर्यटन को भी एक नई ऊंचाई दे रही है।