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उत्तराखंड में जल संरक्षण की ऐतिहासिक पहल, 30 साल की कार्ययोजना पर जोर

 

 

 

देहरादून: उत्तराखंड में जल संकट से निपटने और जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के लिए सरकार ने एक विस्तृत 30-वर्षीय कार्ययोजना तैयार करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिए हैं कि पेयजल आपूर्ति, जल संचयन और संरक्षण को लेकर अल्पकालिक (10 वर्ष) और दीर्घकालिक (30 वर्ष) योजना बनाई जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध और पर्याप्त जल उपलब्ध हो सके।

जल संरक्षण और पुनर्जीवीकरण के लिए बड़े फैसले

मुख्यमंत्री ने सचिवालय में आयोजित पेयजल और जलागम विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि राज्य में वर्षा जल संरक्षण और भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि जल स्रोतों, नदियों और जल धाराओं के पुनर्जीवीकरण के लिए जन सहयोग लिया जाए और इस क्षेत्र में काम कर रहे विशेषज्ञों के सुझावों को भी कार्ययोजना में शामिल किया जाए।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। इसके लिए गंगा की सहायक नदियों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का निर्माण किया जाएगा, ताकि राज्य की अंतिम सीमा तक गंगा का जल पीने योग्य (A-ग्रेड) गुणवत्ता का बना रहे।

पेयजल संकट से निपटने के लिए प्रभावी रणनीति

मुख्यमंत्री ने जल जीवन मिशन के तहत लगाए गए जल कनेक्शनों से नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गर्मियों में जल संकट को रोकने के लिए पुराने जल स्रोतों का पुनर्जीवन और नए जल स्रोतों की पहचान की जाए।

“जल सखी” योजना से स्थानीय स्तर पर जल प्रबंधन

बैठक में जानकारी दी गई कि सरकार “जल सखी” योजना पर विशेष ध्यान दे रही है, जिसमें स्वयं सहायता समूहों को जोड़ा जाएगा।

नदियों के प्रवाह और जल स्रोतों के संरक्षण पर फोकस

राज्य में सारा (SARA) प्रोजेक्ट के तहत नदी जल प्रवाह और जल स्रोतों के पुनर्जीवन का कार्य किया जा रहा है।

जल संकट से निपटने के लिए उत्तराखंड बनेगा मॉडल राज्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड ने अपने रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर लिया है, और अब यह समय नवाचारों और श्रेष्ठ योजनाओं को लागू करने का है। उन्होंने कहा कि राज्य में ऐसी योजनाएं बनाई जाएं, जो अन्य राज्यों के लिए भी मॉडल बन सकें।

बैठक में उत्तराखंड अवस्थापना अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष विश्वास डाबर, मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, रणवीर सिंह चौहान, परियोजना निदेशक जलागम नीना ग्रेवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

जल संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम

राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जल संरक्षण केवल एक सरकारी नीति नहीं, बल्कि जन आंदोलन बनेगा। उत्तराखंड को “जल समृद्ध राज्य” बनाने की दिशा में यह योजना एक ऐतिहासिक कदम साबित होगी।

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