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“जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की नई सुबह: पहले चरण का मतदान, कश्मीरी पंडितों की ऐतिहासिक भागीदारी”

 

जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण कड़ी शुरू होने जा रही है, जब 18 सितंबर को पहले चरण का मतदान होगा। निर्वाचन आयोग ने चुनावी तैयारियां पूरी कर ली हैं और सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं। इस चरण में जम्मू के 3 और कश्मीर घाटी के 4 जिलों में कुल 24 सीटों पर मतदान होगा, जिसमें 23 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसमें 219 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें 90 निर्दलीय शामिल हैं।

विस्थापित कश्मीरी पंडित पहली बार डालेंगे वोट

इस चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि 35,000 से अधिक विस्थापित कश्मीरी पंडित पहली बार वोट डालने के पात्र होंगे। कश्मीरी पंडित, जो पिछले कई दशकों से अपने घरों से दूर हैं, अब जम्मू, उधमपुर और दिल्ली में बनाए गए 24 विशेष मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। इसमें से अकेले जम्मू में 34,852 कश्मीरी पंडित पंजीकृत हैं, जो 19 विशेष केंद्रों पर मतदान करेंगे, जबकि दिल्ली में 648 पंडितों ने मतदान के लिए पंजीकरण कराया है।

इस चरण में कश्मीरी पंडित समुदाय के 6 उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं, जो अपने क्षेत्र के विकास और आवाज़ उठाने का संकल्प लेकर आए हैं। इनमें अनंतनाग से लोक जनशक्ति पार्टी के संजय सराफ, शंगस-अनंतनाग से बीजेपी के वीर सराफ, राजपोरा से रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया के रोजी रैना, पुलवामा से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अरुण रैना और निर्दलीय दिलीप पंडित शामिल हैं।

विस्थापित कश्मीरी पंडितों के मतदान के इस ऐतिहासिक अवसर पर सुरक्षा बलों ने व्यापक इंतजाम किए हैं ताकि स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव हो सके। सभी मतदान केंद्रों पर बुजुर्ग, महिलाएं और दिव्यांग मतदाताओं के लिए विशेष सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं।

यह चुनाव न केवल जम्मू-कश्मीर के लोकतंत्र को मजबूती देगा, बल्कि उन हजारों विस्थापित कश्मीरी पंडितों की भावनाओं को भी स्वर देगा, जो सालों से अपने अधिकारों की प्रतीक्षा कर रहे थे।

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