Site icon The Mountain People

WHO ने एमपॉक्स को फिर घोषित किया वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल, कांगो में बेकाबू फैलाव

 

रॉयटर। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को एमपॉक्स की स्थिति को फिर वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है। कांगो में इस वायरस के प्रकोप के बाद यह फैसला किया गया है। एमपॉक्स संक्रमण खतरनाक दर से फैल रहा है। इस वर्ष 17,000 से अधिक मामले और 500 से अधिक मौतें हुईं जिनमें अधिकतर कांगो में हैं।

बीमारी कांगो सहित 13 अफ्रीकी देशों में फैली

एमपॉक्स कांगो के पड़ोसी देशों में भी फैल गया है। बीते दो वर्षों में दूसरी बार है जब एमपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया है। इससे पहले जुलाई 2022 में एमपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया था। यह बीमारी कांगो सहित 13 अफ्रीकी देशों में फैल रही है। वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य कानून के अंतर्गत बीमारी के प्रकोप को लेकर चेतावनी का उच्च स्तर है। इसकी घोषणा तब की जाती है जब बीमारी नए या असामान्य तरीकों से फैलती हैं।

कांगो से बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा सहित पड़ोसी देशों में फैल गया-एमपॉक्स

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधानम गेब्रेसस ने कहा, आपातकालीन समिति ने मुझे सलाह दी कि एमपॉक्स की स्थिति अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल है। मैंने सलाह को स्वीकार कर लिया है। पूर्वी कांगो में एमपॉक्स का तेजी से फैलना बहुत चिंताजनक है। किसी बीमारी के प्रकोप को पीएचईआइसी घोषित करके डब्ल्यूएचओ बीमारी को नियंत्रित करने और रोकने के लिए अनुसंधान, वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों में तेजी ला सकता है। एमपॉक्स जिसे पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था संक्रामक वायरल रोग है। इसके लक्षणों में दाने निकलना, फफोले बनना, बुखार शामिल है। यह कांगो से बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा सहित पड़ोसी देशों में फैल गया है।

स्वीडन में एमपॉक्स का पहला मामला

स्वीडन में स्वीडन में एमपॉक्स का पहला मामला सामने आया है। डब्ल्यूएचओ ने पुष्टि की है कि यह अफ्रीका के बाहर एमपॉक्स का पहला मामला है। स्वीडन के स्वास्थ्य मंत्री जैकब फोर्समेड ने गुरुवार को कहा, एमपॉक्स के अधिक गंभीर प्रकार, जिसे क्लेड कहा जाता है का मामला सामने आया है।

स्थिति निरंतर नियंत्रण में

स्वीडिश स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि स्वीडन का एक व्यक्ति अफ्रीका में रहते हुए हाल ही में क्लेड आइबी प्रकार के एमपॉक्स से संक्रमित हुआ था। उसका इलाज चल रहा है। इस बीच आइएएनएस के अनुसार रूस में एमपॉक्स की स्थिति निरंतर नियंत्रण में है।

यूरोप में मंकी पॉक्स के और मामले सामने आने की संभावना

अधिकारियों ने कहा कि रूस में इसके फैलने का कोई खतरा नहीं है। रूस एमपॉक्स प्रकोप से प्रभावित अफ्रीकी देशों की सहायता के लिए भी तैयार है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जल्द ही यूरोप में मंकी पॉक्स के और मामले सामने आने की संभावना है।

Monkey Pox है क्या 

मंकीपॉक्स एक संक्रामक रोग है, जिसकी पहचान सबसे पहले 1970 में हुई थी। वायरस के दो सबवैरिएंट हैं- क्लेड-1 और क्लेड-2. यह एक ऐसा वायरस है जो बंदरों से इंसानों में फैला था। वायरस का ट्रांसमिशन यानी फैलाव एक से दूसरे इंसान में भी होता है। मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के बाद सबसे पहले इंसान को बुखार आता है। उसको दाने निकलते हैं जो पूरे शरीर पर फैल सकते हैं। शुरू में दाने चेहरे पर नजर आते हैं। इसके बाद पूरे शरीर पर फैलते हैं। इस वायरस की शुरुआत भी सबसे पहले अफ्रीका से ही हुई थी। 
 
एमपॉक्स का इलाज क्या है ?

क्या मंकीपॉक्स का इलाज संभव है? यह सवाल लोगों के मन में आता है। तो बता दें कि मंकीपॉक्स से संक्रमित मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत भी पड़ जाती है। यहां लक्षणों के आधार पर मरीज का इलाज डॉक्टर करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीमारी का कोई वैक्सीन या निर्धारित दवा नहीं है। मरीज में जैसे लक्षण होते हैं उनको कंट्रोल करने के लिए ट्रीटमेंट दिया जाता है। 

Exit mobile version