मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 22 सालों बाद आखिरकार राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण का सपना पूरा कर दिया है। कैबिनेट बैठक में मंजूरी के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आंदोलनकारियों को सीधी भर्ती के पदों पर 10% क्षैतिज आरक्षण के सपना को मुकाम तक पहुंचा दिया है और अब विधानसभा सत्र के दौरान पारित होने के बाद जल्दी यह नियम प्रदेश में लागू हो जाएगा।
कैबिनेट ने प्रस्ताव पर लगाई मोहर
उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारी की वर्षों के मुराद आखिरकार पूरी हो गई है। दरअसल उत्तराखंड मंत्रिमंडल की बैठक में आंदोलनकारियों को सीधी भर्ती के पदों पर 10% क्षैतीज आरक्षण के प्रस्ताव को पास किया गया है। अब ऐसे में विधेयक के विधानसभा में पारित होने के बाद यह कानून प्रदेश में लागू हो जाएगा। इसी के साथ आंदोलनकारियों को इस कानून से चार बड़े फायदे भी होंगे।
कानून बनने से राज्य आंदोलनकारियों को होंगे चार फायदे
विधानसभा सत्र के दौरान विधायक पास होने के बाद इस कानून को 2004 से लागू करने के बाद राज्य आंदोलनकारियों को जो सबसे पहला फायदा होगा वह यह की आंदोलनकारी कोटे से लगे कर्मियों की नौकरी बहाल होगी। दरअसल हाई कोर्ट से आंदोलनकारियों को क्षैतीज आरक्षण देने वाले शासनादेश के रद्द होने के बाद राज्य में इस व्यवस्था के तहत नौकरी कर रहे करीब 1700 कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलेगी। बता दें कि शासनादेश रद्द होने के बाद 2018 में सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी की थी। जिसके बाद से अब तक कर्मचारियों की नौकरी को संरक्षण देने वाला कोई भी नियम मौजूद नहीं है।
परिक्षा परिणाम भी होंगे घोषित
यह कानून लागू होने के बाद आंदोलनकारियों व उनके परिजनों को दूसरा फायदा यह होगा कि करीब 300 अभ्यार्थियों को नौकरी मिलेगी, जिनका आंदोलनकारी कोटे से लोकसेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से चयन हो चुका है। जिसके बाद अब नियम लागू होने से उन्हें नियुक्ति मिल सकेगी। आंदोलनकारियों को तीसरा फायदा यह होगा कि जो शासनादेश रद्द होने के बाद से परीक्षा परिणाम घोषित नहीं हो सके हैं वह अब घोषित होंगे इसके अलावा चौथा फायदा आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को नौकरी में आरक्षण से मिलेगा जिसके लिए वह लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। आपको बता दें कि राज्य में चिन्हित राज्य आंदोलनकारी की संख्या करीब 13000 है जिन्हें कानून बनने के बाद आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।