चार धाम यात्रा में 12% की गिरावट: पहला महीना दिखा चिंता की तस्वीर, एसडीसी फाउंडेशन ने बताई वजहें

 

 

 

TMP: चार धाम यात्रा 2025 की शुरुआत उत्साह से जरूर हुई, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या में आई 12% की गिरावट ने सरकार और प्रशासन के लिए चिंता की घंटी बजा दी है। एसडीसी फाउंडेशन के विश्लेषण के अनुसार, इस वर्ष मई महीने तक 17,17,619 श्रद्धालु चारों धामों में पहुंचे, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 19,56,269 था — यानी 2,38,650 श्रद्धालुओं की कमी दर्ज की गई।

धामवार आंकड़ों पर नजर डालें तो गिरावट स्पष्ट है:

  • केदारनाथ: 13% गिरावट | 2024 में 7,48,348 → 2025 में 6,49,161

  • बद्रीनाथ: 3% गिरावट | 2024 में 4,72,065 → 2025 में 4,57,409

  • यमुनोत्री: 11% गिरावट | 2024 में 3,46,545 → 2025 में 3,02,713

  • गंगोत्री: 14% गिरावट | 2024 में 3,39,892 → 2025 में 2,93,228

एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल के अनुसार, इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं — भारत-पाक तनाव, अप्रत्याशित मौसम स्थितियाँ, और पंजीकरण प्रक्रिया की जटिलता। उन्होंने बताया कि संस्था ने पहले ही 2024 की रिपोर्ट में भीड़ प्रबंधन, पर्यावरणीय संतुलन, स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती और सरल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की सिफारिश की थी।

नौटियाल ने सरकार से अपील की है कि 2026 की यात्रा की तैयारी अभी से—अक्टूबर या नवंबर 2025 से ही शुरू की जाए, ताकि एक सुरक्षित, व्यवस्थित और सतत यात्रा सुनिश्चित की जा सके।

विश्लेषण:

चार धाम यात्रा सिर्फ आस्था नहीं, बल्कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और पहचान का भी केंद्र है। ऐसे में यह गिरावट प्रशासन, पर्यटन विभाग और नीति-निर्माताओं के लिए चेतावनी है। यदि पंजीकरण प्रणाली को सरल नहीं किया गया, स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत नहीं किया गया, और मौसम अनुकूलन को लेकर रणनीति नहीं बनी, तो भविष्य में यह गिरावट और गहरी हो सकती है।चार धाम यात्रा की लोकप्रियता बरकरार है, पर अब समय आ गया है कि व्यवस्था भी उसी स्तर की हो—तकनीक, पारिस्थितिकी और श्रद्धा—तीनों के संतुलन के साथ

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