TMP: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकवाद और इसके संरक्षक पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा कदम उठाया है। भारत सरकार ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत सात हाई-प्रोफाइल डेलिगेशन विश्व के अलग-अलग हिस्सों में भेजने का फैसला किया है, जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की सच्चाई को वैश्विक समुदाय के सामने उजागर करेंगे।
इन डेलिगेशन में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के 51 सांसद और 85 राजनयिक शामिल हैं, जो कुल 32 देशों का दौरा करेंगे। खास बात यह है कि डेलिगेशन में सत्तारूढ़ बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, सीपीआई और अन्य विपक्षी पार्टियों के नेता भी मौजूद हैं, जो इस विषय पर राष्ट्रीय एकता का परिचायक है।
पहले डेलिगेशन की कमान संजय झा को
पहले डेलिगेशन का नेतृत्व जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा करेंगे, जो जापान, इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर का दौरा करेंगे। इसमें बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी, अभिषेक बनर्जी (टीएमसी), सलमान खुर्शीद (कांग्रेस), बृजलाल (बीजेपी), डॉ. जॉन ब्रिटास (सीपीआई) जैसे कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं।
शशि थरूर और कनिमोझी को भी नेतृत्व की जिम्मेदारी
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक डेलिगेशन अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील और कोलंबिया जाएगा। डीएमके सांसद कनिमोझी रूस, स्लोवेनिया, ग्रीस, लात्विया और स्पेन के दौरे पर रहेंगी।
श्रीकांत शिंदे करेंगे दूसरे डेलिगेशन का नेतृत्व
शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में दूसरा डेलिगेशन खाड़ी और दक्षिण एशियाई देशों का दौरा करेगा, जिसमें बांसुरी स्वराज, सस्मिता पात्रा, एस.एस. अहलूवालिया जैसे नेता शामिल हैं।
इन देशों का चयन क्यों?
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अफ्रीकी देशों में आतंकी नेटवर्क के खिलाफ वैश्विक दक्षिण को एकजुट करना उद्देश्य है।
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खाड़ी देशों में टेरर फंडिंग की पोल खोलने और रणनीतिक खामियों को उजागर करना लक्ष्य है।
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यूरोपीय देशों को इसलिए चुना गया है क्योंकि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अहम भूमिका निभाते हैं।
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अमेरिका के साथ खुफिया साझेदारी और रणनीतिक समन्वय पर जोर है।
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पूर्वी एशिया में समुद्री सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक रणनीति पर सहयोग बढ़ाना है।
भारत का यह कूटनीतिक कदम इस बात का संकेत है कि अब देश केवल आतंकी घटनाओं की निंदा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक जनमत को भी पाकिस्तान के खिलाफ लामबंद करेगा।