पीटीआई: बुद्ध पूर्णिमा का दिन, भारत के परमाणु शक्ति के इतिहास में हमेशा विशेष रहा है—और इस बार भी कुछ अलग नहीं था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए बुद्ध के शांति संदेश के साथ भारत की परमाणु नीति की सख्त चेतावनी पाकिस्तान को दी। उनका स्पष्ट संदेश था—“भारत शांति चाहता है, लेकिन आवश्यकता पड़ी तो शक्ति का प्रयोग करना भी जानता है।”
प्रधानमंत्री ने यह संदेश उस दिन दिया, जो भारत के पहले परमाणु परीक्षण की 50वीं वर्षगांठ भी है। 18 मई 1974 को पोखरण में जब भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण सफलतापूर्वक किया था, वह दिन भी बुद्ध पूर्णिमा था। उस मिशन का कोडनेम था – “बुद्ध मुस्कुराए।” यही वजह है कि जब 1998 में भारत ने दूसरी बार परीक्षण किया, तो उसे कहा गया—“बुद्ध दोबारा मुस्कुराए।”
मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान बुद्ध ने दुनिया को शांति का मार्ग दिखाया, लेकिन यह मार्ग शक्ति से होकर जाता है। उन्होंने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा—“परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आतंकवाद का जहां से भी स्रोत होगा, हम वहां जाकर कठोर कार्रवाई करेंगे। हमने अभियान को स्थगित किया है, समाप्त नहीं। अगला कदम पाकिस्तान के व्यवहार पर निर्भर करेगा।”
यह संबोधन न केवल भारत की रणनीतिक दृढ़ता को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि शांति की कामना करने वाला भारत, अब किसी भी प्रकार की उकसावे की नीति को चुपचाप नहीं झेलेगा।
बुद्ध पूर्णिमा पर शक्ति और संयम का यह सटीक संतुलन भारत की आधुनिक परमाणु नीति की पहचान बनता जा रहा है—शांति भी, सुरक्षा भी।