TMP: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। 26 जवानों की शहादत के बाद देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की मांग तेज़ हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को ‘फ्री हैंड’ दे दिया है और विपक्ष भी एकजुट होकर सरकार के हर निर्णय के साथ खड़ा है। AIMIM जैसे सरकार विरोधी दल भी इस मौके को PoK वापस लेने का सही वक्त बता रहे हैं।
इसके बावजूद, 8 दिन बाद भी भारत ने अभी तक पाकिस्तान पर कोई सीधा सैन्य एक्शन नहीं लिया है। सवाल उठ रहा है — “जवाबी हमला कब?”
विश्लेषण से पता चलता है कि भारत फिलहाल सिर्फ गुस्से या राजनीतिक दबाव में नहीं, बल्कि बहुआयामी रणनीति और अंतरराष्ट्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए हर क़दम बढ़ा रहा है।
1- ‘चीन की छाया’: पाकिस्तान से ज्यादा बड़ा खेल
इस बार भारत-पाक तनाव सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं है, बल्कि इसमें चीन भी एक अदृश्य खिलाड़ी है।
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62 अरब डॉलर का निवेश चीन ने CPEC के तहत पाकिस्तान में किया है, जो PoK से होकर गुजरता है।
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चीन के इस ‘स्ट्रैटेजिक कॉरिडोर’ पर हमला उसके आर्थिक हितों पर सीधा वार होगा।
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विशेषज्ञों का मानना है कि चीन सीधे युद्ध में शामिल न हो, लेकिन LAC पर तनाव बढ़ा सकता है — जिससे भारत को दो मोर्चों पर लड़ना पड़ेगा।
2- अमेरिका का रवैया: साथ है या सिर्फ तमाशबीन?
भारत-अमेरिका के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से मजबूत हैं, लेकिन पहलगाम हमले के बाद अमेरिका की चुप्पी चिंता का विषय बनी हुई है।
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कहीं भी पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया।
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अमेरिका की नीति ‘सिर्फ अपने हित’ तक सीमित है।
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स्ट्रैटेजिक पार्टनर होने के बावजूद अमेरिका ने भारत को खुलकर समर्थन नहीं दिया।
3- जंग का असर: ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ आसान, ‘फुल वॉर’ बेहद महंगा
सीधी जंग आसान लग सकती है, लेकिन उसका असर वर्षों तक चलता है:
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रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास के उदाहरण सामने हैं — वर्षों बाद भी कोई निर्णायक परिणाम नहीं।
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भारत की अर्थव्यवस्था आज पाकिस्तान से 12 गुना बड़ी है। युद्ध का अर्थव्यवस्था पर असर सीधे मिशन-2047 को प्रभावित कर सकता है।
4- पूर्वी मोर्चा: बांग्लादेश की स्थिति भी चिंताजनक
बांग्लादेश, जो कभी भारत का भरोसेमंद पड़ोसी था, अब धीरे-धीरे पाकिस्तान के पाले में जाता दिख रहा है।
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बांग्लादेश के नए नेतृत्व ने भारत के ‘चिकन नेक’ क्षेत्र को निशाने पर लिया है।
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अगर भारत-पाक युद्ध होता है, तो पश्चिम बंगाल व नॉर्थ ईस्ट में अशांति फैलने की संभावना है।
5- परमाणु हथियार: पाकिस्तान की ‘फर्स्ट यूज’ नीति
भारत की ‘No First Use’ नीति भले ही शांतिपूर्ण हो, लेकिन पाकिस्तान पहले परमाणु हमला करने की नीति पर काम करता है।
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युद्ध की स्थिति में यदि पाकिस्तान हारता हुआ दिखा, तो परमाणु हथियार का खतरा वास्तविक हो सकता है।
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ऐसे में भारत का जवाब भी उतना ही सोच-समझकर होगा — शायद एक नई बालाकोट या डीप सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में।
“जंग का ऐलान नहीं, लेकिन रणनीति तय है।”
भारत सरकार इस बार सिर्फ जवाब नहीं, बल्कि ऐसा जवाब देना चाहती है जो आतंकवाद की रीढ़ तोड़ दे। इसका असर न सिर्फ पाकिस्तान पर हो, बल्कि उसे दोबारा सिर उठाने की हिम्मत न हो।
इस बीच पाकिस्तान में डर का माहौल है — बयानबाज़ी बौखलाहट में बदली हुई है। अब सबकी नजरें पीएम मोदी और सेना की अगली चाल पर टिकी हैं।