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कृष्ण जन्मभूमि विवाद: SC ने मस्जिद कमेटी की अपील पर उठाए सवाल, हाई कोर्ट के आदेश को बताया प्रथम दृष्टया सही

 

 

 



TMP: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम टिप्पणी की। मस्जिद कमेटी की अपील पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश बिल्कुल सही प्रतीत होता है। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका को लंबित मुख्य वाद के साथ जोड़ते हुए लिखित दलीलें दाखिल करने का समय दिया है।

क्या है मामला?

दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गत 5 मार्च को भगवान श्रीकृष्ण विराजमान द्वारा दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए उन्हें मूल वाद में संशोधन करने और भारत सरकार व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पक्षकार बनाने की अनुमति दी थी। श्रीकृष्ण विराजमान का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद एएसआई द्वारा संरक्षित स्मारक है, इसलिए पूजा स्थल कानून 1991 इस पर लागू नहीं होता। इसी आधार पर मूल वाद में संशोधन कर नए पक्षकार जोड़े गए।

मस्जिद कमेटी क्यों है आपत्ति में?

मस्जिद कमेटी का तर्क है कि इस संशोधन से मूल मुकदमे की प्रकृति ही बदल गई है, जो कानूनी तौर पर स्वीकार्य नहीं है। इसी आपत्ति के तहत उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मस्जिद कमेटी ने यह भी दावा किया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रक्रिया का पालन किए बिना पक्षकार जोड़ने की अनुमति दे दी।

CJI ने मस्जिद कमेटी की दलीलें क्यों ठुकराईं?

सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि संशोधन के लिए आदेश 6 नियम 17 और आदेश 1 नियम 10 (सीपीसी) लागू होते हैं, और इस नजरिए से हाई कोर्ट का फैसला प्रथम दृष्टया सही है। उन्होंने मस्जिद कमेटी के वकील से कहा, “आपकी दी गई दलीलें कमजोर प्रतीत हो रही हैं।”

क्या होगा अगला कदम?

सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की अपील को पहले से लंबित मुख्य याचिका के साथ संलग्न कर दिया है। अब लिखित दलीलें दाखिल होने के बाद मामले की अगली सुनवाई होगी।

पृष्ठभूमि में लंबा विवाद

मस्जिद कमेटी पहले भी पूजा स्थल कानून 1991 का हवाला देते हुए कृष्ण जन्मभूमि विवाद की सुनवाई पर आपत्ति जता चुकी है। हालांकि, अब वाद में संशोधन के बाद मस्जिद कमेटी की कई आपत्तियां निष्प्रभावी हो सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद कमेटी की कई अन्य याचिकाएं भी लंबित हैं, जिनपर भी भविष्य में सुनवाई की जाएगी।

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