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उत्तराखंड समान नागरिक संहिता: महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के अधिकारों की मज़बूत ढाल

Photo - gaonkelog

 

 

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने से महिलाओं और बच्चों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा को नया आधार मिला है। दून विश्वविद्यालय की वीसी और UCC ड्राफ्ट कमेटी की सदस्य प्रो. सुरेखा डंगवाल के अनुसार, इस संहिता से विवाह संस्था को भी मजबूती मिलेगी।

महिलाओं के हक को नई ताकत

  • अब शादी का पंजीकरण अनिवार्य होने से महिलाओं को धोखे से दूसरी शादी का शिकार बनने से बचाया जा सकेगा।
  • कम उम्र में चोरी-छिपे कराई जाने वाली बाल विवाह की प्रथाओं पर रोक लगेगी।
  • बेटियां बिना किसी दबाव के उच्च शिक्षा जारी रख सकेंगी।

बुजुर्गों और बच्चों को भी सुरक्षा

  • संपत्ति में पत्नी और बच्चों के साथ माता-पिता को भी बराबर का हक मिलेगा, जिससे बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
  • लिव-इन से जन्मे बच्चों को भी माता-पिता की संपत्ति में अधिकार मिलेगा, जिससे विवाह और पारिवारिक जिम्मेदारियों को मजबूती मिलेगी।

स्पष्ट कानून, कम विवाद

  • विवाह के मामलों में स्पष्ट गाइडलाइन होने से कोर्ट केस की संख्या में कमी आएगी।
  • संविधान के अनुसार, दो वयस्क अपनी पसंद से जीवनसाथी चुन सकते हैं, इसके लिए विशेष विवाह अधिनियम पहले से मौजूद है।
  • धर्मांतरण कानून के जरिए लव जिहाद जैसी घटनाओं पर रोक लगाने की व्यवस्था की गई है।

उत्तराखंड की यह नई संहिता समाज में समानता स्थापित करने और महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों को सुरक्षा देने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

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