देहरादून: केदारनाथ उपचुनाव 2024 के नतीजों ने भाजपा को बड़ी जीत का तोहफा दिया है। भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने कांग्रेस के मनोज रावत को 5623 वोटों के बड़े अंतर से हराकर सीट पर कब्जा कर लिया।
- आशा नौटियाल को 23,814 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के मनोज रावत को 18,191 वोट प्राप्त हुए।
- यह जीत न केवल भाजपा के लिए राजनीतिक सफलता है बल्कि केदारनाथ सीट पर सालों से चले आ रहे “महिला जीत के मिथक” को भी एक बार फिर सच साबित करती है।
महिला नेतृत्व का गढ़: केदारनाथ सीट का अनोखा इतिहास
केदारनाथ विधानसभा सीट पर छह चुनावों में पांच बार महिला प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है।
- 2002 और 2007: भाजपा की आशा नौटियाल ने लगातार दो बार जीत दर्ज की।
- 2012: कांग्रेस की शैला रानी रावत ने जीत का सिलसिला जारी रखा।
- 2022: शैला रानी रावत फिर से जीतकर विधानसभा पहुंचीं।
- 2024: भाजपा की आशा नौटियाल ने एक बार फिर महिला नेतृत्व की परंपरा को आगे बढ़ाया।
सिर्फ 2017 में ही इस सीट पर पुरुष प्रत्याशी विधायक बने थे।
महिलाओं की निर्णायक भूमिका
केदारनाथ उपचुनाव में महिला मतदाता एक बार फिर निर्णायक साबित हुईं।
- महिला मतदाता: कुल 45,956, जबकि पुरुष मतदाता 44,919।
- महिला मतदान प्रतिशत: 61.64%, पुरुषों का केवल 55.65%।
- महिलाओं ने पुरुषों से 3132 ज्यादा वोट डाले।
इस बार कुल 28,329 महिलाओं ने मतदान किया, जो इस सीट पर महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
राजनीतिक समीकरण और भाजपा की रणनीति
भाजपा की इस जीत के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम पुष्कर सिंह धामी, और पार्टी की जमीनी स्तर पर सक्रिय रणनीति का बड़ा योगदान रहा।
- महिला मतदाताओं को साधने के लिए योजनाओं और विकास कार्यों का प्रभावी प्रचार किया गया।
- भाजपा ने केदारनाथ में धार्मिक पर्यटन और पुनर्निर्माण परियोजनाओं के जरिए जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत की।
आगामी चुनावों के लिए संकेत
भाजपा की जीत ने यह संकेत दिया है कि महिलाओं का समर्थन पार्टी के लिए एक मजबूत कड़ी है।
- यह सफलता आगामी निकाय और पंचायत चुनावों के लिए भाजपा के आत्मविश्वास को बढ़ाएगी।
- कांग्रेस के लिए यह हार रणनीति पर पुनर्विचार का समय है, क्योंकि महिलाओं का झुकाव भाजपा की ओर स्पष्ट दिखाई देता है।
महिला शक्ति और केदारनाथ की राजनीति का संगम
- केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में महिलाओं की भूमिका ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यह सीट महिला नेतृत्व का गढ़ है।
– - आशा नौटियाल की जीत भाजपा के लिए केवल एक राजनीतिक विजय नहीं, बल्कि महिलाओं की शक्ति और समर्थन का प्रतीक भी है।
– - अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा इस जीत को आगामी चुनावों में कितनी कुशलता से भुनाती है।