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महाराष्ट्र में महायुति की ऐतिहासिक जीत: 236 सीटों पर बढ़त, CM पद को लेकर सस्पेंस बरकरार

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TMP: महाराष्ट्र की राजनीति में महायुति (भाजपा-शिवसेना-राकांपा) ने एक बार फिर ताकतवर वापसी करते हुए बड़ा इतिहास रच दिया है। शुरुआती रुझानों में गठबंधन ने 236 सीटों पर बढ़त हासिल कर ली है, जबकि विपक्षी महाविकास आघाड़ी (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना उद्धव गुट) 49 सीटों तक सिमटती दिख रही है। यह चुनाव परिणाम न केवल महायुति की लोकप्रियता को दर्शाता है, बल्कि विपक्षी खेमे के लिए बड़े झटके के रूप में भी देखा जा रहा है।

महायुति की जीत और मुख्यमंत्री पद का सवाल

चुनाव के नतीजों के साथ ही सबसे बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?
क्या एकनाथ शिंदे अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहेंगे, या देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालेंगे? यह सवाल हर राजनीतिक गलियारे और आम जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

फडणवीस का बयान: ‘सीएम पर कोई विवाद नहीं’

राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा,
“चुनाव से पहले ही यह तय हो गया था कि सीएम का निर्णय तीनों दलों के नेता मिलकर लेंगे। इसमें किसी भी प्रकार का विवाद नहीं होगा। यह सर्वसम्मति से लिया गया फैसला होगा और सभी दल इसे स्वीकार करेंगे।”
फडणवीस के इस बयान के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर सस्पेंस बरकरार है, क्योंकि इस मुद्दे पर आखिरी फैसला बैठक के बाद ही होगा।

महाविकास आघाड़ी के लिए कड़ा संदेश

विपक्षी महाविकास आघाड़ी के लिए यह परिणाम एक बड़ा झटका साबित हुआ है। जहां एमवीए ने पिछले चुनाव में जनता का भरोसा जीतने में सफलता पाई थी, वहीं इस बार महायुति ने उस भरोसे को बड़ी ताकत के साथ भुनाया है।

महायुति की सफलता के मायने

महायुति की शानदार जीत ने न केवल उनके गठबंधन की मजबूती को साबित किया है, बल्कि राज्य में भाजपा और शिवसेना के नेतृत्व की स्वीकार्यता को भी बल दिया है। इस जीत के पीछे सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर महायुति की रणनीति को भी अहम कारक माना जा रहा है।

आगे की राह: मुख्यमंत्री कौन बनेगा?

अब सबकी निगाहें महायुति की उच्चस्तरीय बैठक पर टिकी हैं, जहां मुख्यमंत्री पद को लेकर फैसला लिया जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र को नई दिशा देने के लिए महायुति किस चेहरे पर भरोसा जताती है। महायुति की यह जीत महाराष्ट्र की राजनीति में नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देखी जा रही है।

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