TMP: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में गुरुवार को दिल्ली में हाई लेवल बैठक हुई, जिसमें सिंधु जल संधि पर तत्काल, मिड टर्म और लॉन्ग टर्म तीन चरणों में ऐक्शन प्लान लागू करने का निर्णय लिया गया।
हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली है, जिसने 26 हिंदुओं की पहचान पूछकर हत्या कर दी थी। इस बर्बर हमले के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, और विदेश मंत्रालय समेत कई टॉप अधिकारी तेजी से एक्शन मोड में आ गए हैं।
भारत के पांच बड़े कदम:
-
सिंधु जल संधि की पुनर्समीक्षा – जल मंत्री के अनुसार तीन चरणों में ऐक्शन शुरू।
-
पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा निलंबन – तत्काल प्रभाव से सभी वीजा निरस्त।
-
विदेशों से समर्थन जुटाना – अमेरिका और रूस समेत कई देशों ने भारत का साथ देने की बात कही।
-
एलओसी पर सुरक्षा बढ़ी – सेना प्रमुख खुद उधमपुर और नियंत्रण रेखा की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।
-
राजनीतिक एकजुटता – राहुल गांधी ने श्रीनगर जाकर पीड़ितों से मुलाकात की और सरकार को समर्थन देने की बात कही।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गब्बार्ड ने हमले को इस्लामिक आतंकवाद करार देते हुए भारत के प्रति समर्थन जताया। उन्होंने लिखा, “हम भारत के साथ हैं, और दोषियों को पकड़ने में पूरा सहयोग देंगे।”
वहीं रूस ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अपने नागरिकों को पाकिस्तान की यात्रा से बचने की सलाह दी है, जिससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि और घिर गई है।
पाकिस्तान की बौखलाहट:
भारत के लगातार सख्त होते रुख से घबराकर पाकिस्तान ने शिमला समझौता रद्द करने की धमकी दी है, जो 1972 में भारत-पाक युद्ध के बाद बना था। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत अब सिर्फ शब्दों में नहीं, नीति और कूटनीति के स्तर पर कड़े फैसले ले रहा है। पाकिस्तान को हर मोर्चे पर घेरने की रणनीति के तहत सिंधु जल समझौता अब हथियार बनता दिख रहा है, और वैश्विक समर्थन के साथ भारत की यह कार्रवाई निर्णायक मोड़ पर है।