खाद्य मंत्री रेखा आर्या और विभागीय सचिव एवं आयुक्त सचिन कुर्वे के बीच जिलापूर्ति अधिकारियों के तबादलों को लेकर जुबानी जंग शुरू हो गयी है।सचिव कुर्वे द्वारा मंत्री रेखा आर्य के तबादला आदेश को रद्द करने को कहा। जिसे सचिव कुर्वे ने मानने से साफ इंकार कर दिया है। सचिव ने मंत्री को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने साफ-साफ शब्दों में लिखा है कि स्थानांतरण एक्ट में तबादलों के लिए मंत्री से अनुमोदन लेने का नियम नहीं है।
सचिन कुर्वे की ACR से संबंधित मूल पत्रावली को किया तलब
सचिव की स्थांतरण एक्ट वाली बात को सुनकर मंत्री रेखा आर्या नाराज हैं जिसके प्रतिउत्तर में उन्होंने कहा कि उन्हें एक्ट की जानकारी नहीं है। उनका ये रवैया किसी निजी स्वार्थ की ओर इशारा कर रहा है। उन्होंने कार्मिक सचिव से सचिन कुर्वे की ACR से संबंधित मूल पत्रावली तलब की है। मंत्री रेखा आर्य ने जानकारी देते हुए बताया कि सचिव के इस व्यवहार और संपूर्ण स्थिति व प्रकरण से मुख्यमंत्री को अवगत कराया जा चुका है।
मंत्री ने सचिव के 6 जिलापूर्ति अधिकारियों के ट्रांसफर आदेश को किया था रद्द
दरअसल खाद्य मंत्री रेखा आर्या ने 20 जून को सचिव व खाद्य आयुक्त सचिन कुर्वे के नैनीताल जिलापूर्ति अधिकारी मनोज वर्मन को अनिवार्य अवकाश पर भेजने और बीते रोज छह जिलापूर्ति अधिकारियों के स्थानांतरण के आदेश को रद कर दिया था। इसके अलावा डेढ़ घंटे के भीतर तबादले की प्रक्रिया पूरी करने पर भी सवाल उठाए थे। मंत्री रेखा आर्या ने खाद्य आयुक्त की ओर से जारी तबादला आदेश पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि उन्होंने विभागीय मंत्री से इस पूरी प्रक्रिया के लिए अनुमोदन नहीं लिया था। जिसको विभागीय मंत्री ने रूल ऑफ बिजनेस का उल्लंघन बताते हुए मुख्य सचिव को पत्र लिखकर खाद्य आयुक्त पर कार्यवाही के निर्देश दिए थे। साथ ही उन्होंने आयुक्त से भी जवाब तलब किया था।
सचिव ने मंत्री को तबादला वार्षिक स्थानांतरण एक्ट-2017 का दिया हवाला
खाद्य मंत्री को आयुक्त कुर्वे ने गुरुवार को चार बिंदुओं पर आख्या के साथ पत्र भेजा। पत्र में उन्होंने कहा कि तबादले वार्षिक स्थानांतरण एक्ट-2017 के प्रविधानों के अनुसार किए गए हैं। खाद्य आयुक्त के आदेश पर स्थानांतरण समिति गठित की गई। बीती 28 अप्रैल को उन्होंने 14 मई, 2019 को किए गए सुगम-दुर्गम क्षेत्रों के चिह्नांकन को दोबारा अनुमोदित किया। स्थानांतरण समिति की संस्तुति के आधार पर तबादले किए गए। उन्होंने कहा कि समूह-ख के अधिकारियों के तबादलों के लिए विभागीय सचिव या मंत्री से अनुमोदन लेना आवश्यक नहीं है। एक्ट में इसका प्रविधान नहीं है।
जिसके बाद सचिव के इस तरफ के बर्ताव से खाद्य मंत्री भड़क गईं। और उन्होंने कहा कि 20 जून को खाद्य सचिव नैनीताल के जिलापूर्ति अधिकारी को अनिवार्य अवकाश पर भेजने का आदेश विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बगैर जारी करते हैं। जब उनसे आदेश निरस्त करने और मंत्री से अनुमोदन नहीं कराने के सम्बंध में स्पष्टीकरण मांगा जाता है। तो आयुक्त नियमों और एक्ट के हवाला देकर अपनी बात को सही साबित करने का प्रयास करता है। सचिव ने स्पष्ट रूप से नियमों का पालन नहीं करके एक्ट का उल्लंघन किया है। क्योकि हर विभाग में मंत्री इसीलिए बनाये जाते हैं ताकि शासन या प्रशासन में इंस्पेक्टर राज कायम न हो। और विभागीय मंत्री का नैतिक दायित्व है कि किसी निर्णय में निजी स्वार्थ व भ्रष्टाचार का तनिक भी अंदेशा हो, तो ऐसे आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त किए जाएं।