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भारत से आईएसएस तक: ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला बनेंगे अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय 

 

 

 

पीटीआई: भारत के लिए एक और अंतरिक्ष गौरव की घड़ी नज़दीक है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अब 8 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरने जा रहे हैं। वह ISS की यात्रा करने वाले पहले भारतीय नागरिक बनेंगे, जो भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा।

अंतरिक्ष में भारत की अगली बड़ी छलांग

एक्सिओम-4 मिशन के तहत यह अंतरिक्ष यात्रा अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर से भारतीय समयानुसार शाम 6:41 बजे शुरू होगी। शुभांशु के साथ अमेरिका, हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होंगे। इस मिशन की कमान अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन संभालेंगी, जो सबसे अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहने वाली अमेरिकी हैं।

14 दिन, 7 प्रयोग और भारतीय विज्ञान की उड़ान

स्पेसएक्स के ‘ड्रैगन’ अंतरिक्षयान से उड़ान भरने वाले शुभांशु ISS में 14 दिन बिताएंगे और इस दौरान भारत से संबंधित 7 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे।

इनमें एक अनोखा प्रयोग भारत के पारंपरिक खाद्य बीजों जैसे मेथी और मूंग के अंकुरण से जुड़ा है, जो यह परीक्षण करेगा कि माइक्रोग्रैविटी में भारतीय फसलें कैसे प्रतिक्रिया देती हैं।

गगनयान की तैयारी का भी हिस्सा

शुभांशु शुक्ला को ISRO के महत्वाकांक्षी ‘गगनयान मिशन’ के लिए भी शॉर्टलिस्ट किया गया है। गगनयान मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजे जाएंगे और फिर सुरक्षित वापसी कराई जाएगी।

इस मिशन से उन्हें अंतरिक्ष उड़ान संचालन और आपात स्थितियों से निपटने का व्यावहारिक अनुभव मिलेगा।

वायुसेना का शौर्य, अब अंतरिक्ष में

ग्रुप कैप्टन शुभांशु के पास 2000 घंटे से अधिक उड़ान अनुभव है, जिसमें सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29 और जगुआर जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट शामिल हैं।

क्या कहता है यह मिशन भारत के भविष्य के बारे में?

यह केवल एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं, बल्कि 2035 तक भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन और 2047 तक मानव को चंद्रमा पर भेजने के मिशन की नींव भी है।

भारत ने एक बार फिर दिखा दिया है कि उसका अंतरिक्ष भविष्य न सिर्फ चमकदार है, बल्कि अब और ज्यादा करीब भी।

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