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जंग की आहट? 7 मई को देशभर में ब्लैकआउट और मॉक ड्रिल! 54 साल बाद भारत कर रहा है बड़ी तैयारी 

 

 

 



नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए खूनी आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान की साजिश अब पूरी तरह उजागर हो चुकी है। 22 अप्रैल को 26 निर्दोष लोगों की जान लेने वाले आतंकवादी पाकिस्तान से ही भेजे गए थे — ये तथ्य पुख्ता हो चुके हैं। भारत अब निर्णायक जवाब की तैयारी में है और पाकिस्तान इस आशंका से बुरी तरह कांप रहा है।

अब सबसे बड़ा संकेत केंद्रीय गृह मंत्रालय से आया है — 7 मई को देश के 244 जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जो लगभग 54 वर्षों में पहली बार इतने बड़े स्तर पर हो रही है। पिछली बार ऐसा कदम भारत-पाक युद्ध 1971 के दौरान उठाया गया था। इससे साफ है कि भारत युद्ध की किसी भी स्थिति के लिए हर मोर्चे पर पूरी तरह चौकस हो चुका है।

क्या है यह मॉक ड्रिल?

मॉक ड्रिल का उद्देश्य है — आपात स्थिति में नागरिकों की तत्परता जांचना। इसमें आम जनता, पुलिस, फायर ब्रिगेड, होम गार्ड और आपदा राहत बल (NDRF) की समन्वित प्रतिक्रिया को परखा जाता है। यह ड्रिल युद्ध, आतंकी हमले, हवाई बमबारी, आगजनी या प्राकृतिक आपदा जैसी स्थितियों में नागरिकों को सही प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित करती है।

मॉक ड्रिल में क्या होगा?

क्यों मानी जा रही है यह ड्रिल ‘युद्ध की आहट’?

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस स्तर की मॉक ड्रिल महज़ एक अभ्यास नहीं है — यह युद्ध की संभावनाओं की रणनीतिक तैयारी है। गृह मंत्रालय का यह कदम दर्शाता है कि भारत अब हर नागरिक स्तर तक सतर्कता और प्रशिक्षण देना चाहता है।

क्या 7 मई को होगा ब्लैकआउट?

हालांकि ड्रिल का सटीक समय सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि रात के समय ब्लैकआउट हो सकता है, जैसा कि हाल ही में पंजाब के फिरोजपुर में किया गया था। उस दौरान 30 मिनट तक पूरा इलाका अंधेरे में डूबा रहा।भारत अब जवाबी कार्रवाई के लिए केवल सैन्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि नागरिक मोर्चे पर भी पूरी तरह तैयार है। 7 मई की मॉक ड्रिल एक रणनीतिक संकेत है — कि देश अब हर स्थिति का सामना करने को तैयार है, और यह शांति की नहीं, कड़क प्रतिक्रिया की पूर्व सूचना हो सकती है।

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