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पहलगाम हमले के बाद भारत की दोहरी रणनीति: सेना को खुली छूट, दुनिया को कूटनीतिक संदेश

 

 

 

TMP: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने न केवल आंतरिक मोर्चे पर सख्त रुख अपनाया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय कूटनीतिक अभियान छेड़ दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा बलों को आतंकियों के खिलाफ सीधी कार्रवाई की खुली छूट दे दी है, वहीं विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के अस्थायी सदस्यों से संवाद कर भारत की स्थिति स्पष्ट की है।

जयशंकर ने गुयाना, ग्रीस, स्लोवेनिया, पनामा, सोमालिया, सिएरा लियोन और अल्जीरिया जैसे देशों के विदेश मंत्रियों से फोन पर बात की। जानकारों का मानना है कि यह बातचीत संभावित पाकिस्तानी कूटनीतिक प्रयासों को रोकने के लिए है, क्योंकि पाकिस्तान भी वर्तमान में यूएनएससी का अस्थायी सदस्य है और भविष्य में भारत के खिलाफ कोई प्रस्ताव ला सकता है।

कुवैत से भी बना सहयोग का सेतु

भारत ने इस हमले को लेकर खाड़ी देशों में भी समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है। जयशंकर ने कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्ला अली अल-याह्या से भी बातचीत की और हमले के खिलाफ कुवैत की एकजुटता के लिए आभार जताया। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “पहलगाम आतंकी हमले के बाद कुवैत की एकजुटता और समर्थन के लिए धन्यवाद।”

दुनिया के बड़े नेताओं का भारत को समर्थन

भारत के कूटनीतिक प्रयासों का असर साफ दिखा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू, मिस्र, जॉर्डन, और इटली के शीर्ष नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी से बात की और हमले की कड़ी निंदा की।

इसके अलावा जापान, यूएई, ईरान, श्रीलंका, नीदरलैंड्स, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और नेपाल जैसे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और प्रधानमंत्रियों ने भी मोदी से फोन पर चर्चा कर भारत के प्रति सहानुभूति और समर्थन जताया है।

भारत का कड़ा संदेश

यह स्पष्ट है कि भारत अब आतंकवाद को केवल सीमावर्ती सुरक्षा चुनौती नहीं, बल्कि वैश्विक राजनयिक मुद्दा मानकर उस पर ठोस कार्रवाई कर रहा है। आतंकी हमलों के खिलाफ वैश्विक जनमत निर्माण और पाकिस्तान की संभावित चालों की काट की यह रणनीति, भारत की नई विदेश नीति का महत्वपूर्ण संकेत बन गई है।

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