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प्रधानमंत्री मोदी का मुखवा-हर्षिल दौरा: उत्तराखंड के शीतकालीन पर्यटन को मिला नया आयाम! 

 

 

 

TMP : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तरकाशी के मुखवा और हर्षिल का दौरा सिर्फ एक आधिकारिक यात्रा नहीं, बल्कि उत्तराखंड के शीतकालीन पर्यटन को एक नई पहचान देने वाला ऐतिहासिक कदम साबित हुआ है। माँ गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखवा और हर्षिल घाटी से प्रधानमंत्री के संदेशों की अनुगूंज देश-दुनिया में सुनाई देना तय है।

उत्तराखंड के शीतकालीन पर्यटन को बड़ी उड़ान

उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा को लेकर प्रधानमंत्री की जबरदस्त ब्रांडिंग ने प्रदेश के पर्यटन को नए आयाम देने की मजबूत नींव रख दी है। पीएम मोदी ने योग, धर्म, कॉरपोरेट सेमिनार, फिल्म शूटिंग और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स के माध्यम से उत्तराखंड के पर्यटन को आगे बढ़ाने की बात कही, जो इस क्षेत्र को वैश्विक मंच पर ले जाने का प्रयास है।

चारधाम यात्रा से पहले पर्यटन को बड़ा बूस्ट

प्रधानमंत्री का यह प्रवास ऐसे समय हुआ जब शीतकालीन यात्रा के दो महीने शेष हैं और 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू होनी है। उनके इस दौरे से दोनों यात्राओं को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।

रजत जयंती वर्ष में ऐतिहासिक पहल

उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष में यह शीतकालीन यात्रा का सबसे बड़ा प्रमोशनल कदम माना जा रहा है। इससे पहले इतनी व्यापक और प्रभावी रणनीति कभी नहीं बनाई गई थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से उत्तराखंड के पर्यटन को देश-दुनिया की नजरों में लाने में बड़ी सफलता मिली है।

मोदी—उत्तराखंड के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर

प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे उत्तराखंड के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर हैं। केदारनाथ धाम के विकास से लेकर अब शीतकालीन यात्रा के प्रचार तक, मोदी की सक्रियता ने नया इतिहास रचा है। उनकी 28 जनवरी को राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ के मौके पर की गई शीतकालीन यात्रा में शामिल होने की घोषणा आज साकार हुई।

मुखवा-हर्षिल में हर्ष की लहर, पीएम-सीएम का आभार

प्रधानमंत्री के आगमन से मुखवा और हर्षिल क्षेत्र में अपार उत्साह है। गंगोत्री मंदिर के सचिव सुरेश सेमवाल ने इस ऐतिहासिक पल को गौरवान्वित करने वाला अवसर बताया, जबकि तीर्थपुरोहित व लोक कलाकार रजनीकांत सेमवाल ने पीएम और सीएम के प्रति आभार प्रकट किया

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा उत्तराखंड के पर्यटन की दिशा बदलने वाला साबित होगा और शीतकालीन यात्रा को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का माध्यम बनेगा। 

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