Site icon The Mountain People

देहरादून में मंत्री-पुत्र का ‘वन-विनाश’: रिजॉर्ट के लिए कटे संरक्षित पेड़, जांच तेज़!

 

 

TMP : उत्तराखंड के लैंसडाउन वन प्रभाग की लालढांग रेंज में पेड़ कटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस विवाद के केंद्र में राज्य सरकार के एक मंत्री के बेटे का नाम है, जो निजी भूमि पर रिजॉर्ट बनाने के लिए संरक्षित प्रजाति के पेड़ों की अवैध कटाई के आरोपों का सामना कर रहा है।

26 पेड़ कटे, दो संरक्षित! वन विभाग की जांच में खुलासा

वन विभाग की जांच में पता चला कि कुल 26 पेड़ों की कटाई हुई है, जिनमें से 24 पेड़ छूट श्रेणी के थे, लेकिन दो पेड़ संरक्षित प्रजाति के थे। इन पेड़ों को काटने के लिए विभाग से अनुमति नहीं ली गई थी। डीएफओ आकाश गंगवार ने खुद मौके का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की है।

वन मंत्री का सख्त रुख: दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा है, “चाहे कोई भी दोषी हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। जांच के आदेश दिए गए हैं, और रिपोर्ट आने के बाद सख्त कार्रवाई होगी।”

ट्री-प्रोटेक्शन एक्ट का खेल: जुर्माना सिर्फ ₹5000?

मामले में वन विभाग के पास संरक्षित पेड़ों की कटाई पर ₹5000 प्रति केस का जुर्माना लगाने का ही अधिकार है। यह नियम ऐसे गंभीर मामलों में सवाल खड़े करता है, जहां पर्यावरण को बड़ा नुकसान हुआ हो।

डीएफओ की सख्ती: पेड़ों की नंबरिंग शुरू

डीएफओ गंगवार ने बताया कि निरीक्षण के दौरान मौके पर अभी भी 20 से ज्यादा पेड़ मौजूद हैं। वन विभाग ने इन पेड़ों की नंबरिंग शुरू कर दी है ताकि भविष्य में किसी भी अवैध कटाई पर नजर रखी जा सके।

मंत्री-पुत्र का ‘रिजॉर्ट ड्रीम’ विवादों में

जानकारी के अनुसार, मंत्री के बेटे की योजना इस भूमि पर एक शानदार रिजॉर्ट बनाने की है। लेकिन संरक्षित पेड़ों की कटाई ने इस योजना को विवादों के घेरे में ला दिया है।

क्या वन विभाग की कार्रवाई इस मामले में पर्यावरण को इंसाफ दिला पाएगी, या ₹5000 के जुर्माने पर यह मामला ठंडा पड़ जाएगा? उत्तराखंड के जंगलों पर मंडराता यह खतरा सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की कमजोर नीतियों की ओर इशारा है।

 

Exit mobile version