उत्तराखंड हाईकोर्ट का सख्त रुख, भ्रष्टाचार पर सटीक कार्रवाई के संकेत
TMP: नैनीताल हाईकोर्ट ने चमोली जिले के थराली और देवाल विकासखंडों में 88 पेयजल योजनाओं में हुई भारी अनियमितताओं के मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जांच समिति को 8 सप्ताह के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने दिया।
क्या है मामला?
बागेश्वर निवासी गोपाल बनवासी ने जनहित याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया कि चमोली जिले में इन पेयजल योजनाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गई हैं। उन्होंने इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी चमोली से की थी, जिसके बाद उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई गई। जिलाधिकारी ने एक माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक रिपोर्ट पेश नहीं की गई।
हाईकोर्ट का सख्त संदेश
याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि रिपोर्ट जल्द से जल्द प्रस्तुत कर दोषियों पर कार्रवाई शुरू की जाए। हाईकोर्ट ने इस मामले में ढिलाई को गंभीरता से लेते हुए जांच समिति को समय सीमा में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए।
गड़बड़ियों की गंभीरता:
- 88 पेयजल योजनाओं में अनियमितता के आरोप।
- जनता को मूलभूत सुविधाओं से वंचित करने का मामला।
- जांच में देरी से अधिकारियों पर सवाल।
अगले कदम:
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अब जांच समिति को 8 सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोषियों पर कार्रवाई कैसे होती है और यह मामला आम जनता के लिए न्याय सुनिश्चित करता है।
न्यायपालिका का जनहित में सख्त कदम:
यह फैसला उत्तराखंड में सार्वजनिक योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी तय करने के लिए यह मामला मिसाल बन सकता है।