देहरादून: रुद्रप्रयाग में हाल ही में हुए हेलीकॉप्टर हादसे के बाद उत्तराखंड सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को आपात बैठक बुलाकर न सिर्फ उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए, बल्कि चारधाम यात्रा के लिए हेली सेवाएं सोमवार तक पूरी तरह बंद रखने के निर्देश भी दिए हैं।
लापरवाही पर कठोर कार्रवाई, अनुभवहीन पायलटों की उड़ान पर रोक
सीएम धामी ने स्पष्ट किया कि हादसे में जिस भी स्तर पर लापरवाही हुई है, उनके खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। भविष्य में सिर्फ उन्हीं पायलटों को उड़ान की अनुमति दी जाएगी, जिन्हें उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उड़ान का पर्याप्त अनुभव हो। साथ ही डीजीसीए की गाइडलाइंस को और अधिक सख्त बनाया जाएगा।
राज्य में स्थापित होगा कॉमन कमांड एंड कोऑर्डिनेशन सेंटर
हेलीकॉप्टर उड़ानों के समन्वय और निगरानी के लिए देहरादून में एक “कमांड एंड कोऑर्डिनेशन सेंटर” की स्थापना की जाएगी। इसमें डीजीसीए, आपदा प्रबंधन विभाग, नागरिक उड्डयन विभाग, यूकाडा और हेलीकॉप्टर ऑपरेटर कंपनियों के अधिकारी तैनात होंगे। यह केंद्र हेली सेवाओं के सुरक्षित और अनुशासित संचालन के लिए जिम्मेदार होगा।
नई एसओपी पर होगा काम, सितंबर से पहले रिपोर्ट अनिवार्य
मुख्यमंत्री ने गृह सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें डीजीसीए, एटीसी, यूकाडा और भारत सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। यह समिति हेलीकॉप्टर सेवाओं के लिए नए प्रशासनिक व तकनीकी एसओपी (Standard Operating Procedure) का मसौदा तैयार करेगी, जिसकी रिपोर्ट सितंबर से पहले प्रस्तुत करनी होगी।
हवाई सुरक्षा के लिए तकनीकी उपाय भी तेज़
हिमालयी क्षेत्रों में मौसम की सटीक जानकारी के लिए अत्याधुनिक उपकरण लगाए जाएंगे, जिससे पायलटों को सही समय पर मौसम पूर्वानुमान मिल सके। राज्य सरकार दुर्घटना में मारे गए यात्रियों के पार्थिव शरीरों को सम्मानपूर्वक उनके राज्यों तक भेजने की व्यवस्था भी सुनिश्चित कर रही है।
सीएम धामी ने कहा:
“जन जीवन की सुरक्षा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी भी कीमत पर जिंदगियों से समझौता नहीं होने दिया जाएगा।”
रुद्रप्रयाग हादसे ने उत्तराखंड की हेली सेवाओं पर सवाल खड़े किए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के त्वरित निर्णय और सख्त निर्देशों से साफ है कि अब हवाई सुरक्षा में कोई भी ढिलाई नहीं बरती जाएगी। यह कदम न केवल यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि चारधाम यात्रा को भविष्य में और अधिक व्यवस्थित और सुरक्षित बनाएगा।