Site icon The Mountain People

भारत का पानी पर प्रहार: सिंधु जल समझौते पर रोक से पाकिस्तान में मंडराया जल संकट, बिजली और कृषि व्यवस्था खतरे में

 

 

 

जेएनएन:  पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है। केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक और रणनीतिक रूप से बेहद अहम सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का फैसला किया है। यह कदम पाकिस्तान पर कूटनीतिक और व्यावहारिक दोनों मोर्चों पर बड़ा दबाव बनाने वाला है।

क्या है सिंधु जल समझौता?

1960 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच यह समझौता हुआ था। इसके तहत सिंधु नदी की सहायक नदियों को दो हिस्सों में बांटा गया —

अब तक दोनों देशों के बीच युद्ध होने के बावजूद इस समझौते को कभी भी रोका नहीं गया था। लेकिन इस बार भारत ने स्पष्ट संदेश देते हुए इसे स्थगित कर दिया है।

भारत के फैसले का पाकिस्तान पर असर:

पाकिस्तान की 80% खेती योग्य भूमि सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है।

93% पानी सिंचाई के लिए इस्तेमाल होता है – इसके बिना खेती पूरी तरह ठप हो जाएगी।

कृषि क्षेत्र 23% योगदान देता है पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय में, 68% आबादी की आजीविका खेती पर निर्भर।

लाहौर, कराची और मुल्तान जैसे बड़े शहरों की जल आपूर्ति इसी प्रणाली से होती है।

सिंधु के पानी से ही तरबेला और मंगला जैसे बड़े पावर प्रोजेक्ट चलते हैं।

पानी की आपूर्ति रुकने से खाद्य संकट, शहरी जल संकट और बिजली संकट एक साथ पैदा हो सकते हैं।

राजनीतिक संदेश और कूटनीतिक संकेत:

भारत का यह कदम सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि एक कड़ा राजनीतिक और कूटनीतिक संदेश भी है — कि अब हर हमले का जवाब आर्थिक और पर्यावरणीय मोर्चों पर भी दिया जाएगा।

भारत का सिंधु जल समझौते पर रोक लगाने का फैसला पाकिस्तान के लिए जल संकट, कृषि आपदा और बिजली संकट की त्रासदी बनकर सामने आ सकता है। यह निर्णय भारत की कूटनीति में एक नई धार का संकेत है, जहां दुश्मन को पानी तक की एक-एक बूंद के लिए सोचना होगा।

 

Exit mobile version